उन्नाव :'मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पत्नी मानसिक तनाव में थी. वह घर से अचानक निकली, फिर लौटी नहीं. काफी तलाश किया, लेकिन वह नहीं मिली. दौड़ते-भागते मैं खुद बीमार हो गया. आंखों में समस्या होने लगी. जिला अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि मोतियाबिंद हो गया है. इसके बाद ऑपरेशन करवा लिया. आंख की पट्टी खोलते ही मेरे बगल वाले बेड पर पत्नी भर्ती मिली. अब अपना दर्द भूलकर उसकी देखभाल कर रहा हूं'.
ये बताते हुए जिले के केवटा तालाब बस्ती के रहने वाले राकेश कुमार की आंखें भर आईं. 25 दिनों से जिस पत्नी की खोजबीन करते-करते वह नाउम्मीद हो चले थे, वह इस तरह उन्हें मिल जाएगी, उन्होंने कभी सोचा नहीं था. ऑपरेशन के बाद खुद की तकलीफों को भूलकर वह पत्नी की सेवा में जुटे हैं. उनका प्रयास है कि पत्नी किसी तरह स्वस्थ हो जाए.
अब पढ़िए बिछड़ने और फिर मिलने की पूरी कहानी :राकेश ने बताया कि 13 जनवरी तारीख को पत्नी शांति देवी घर से कहीं निकल गई. वह मानसिक रूप से परेशान थी. इसके बाद लौटी नहीं. हम काफी तलाश करते रहे. कुछ पता न चलने पर गुमशुदगी दर्ज कराई. ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कराई. फोटो भी निकलवा दिए. कानपुर, लखनऊ, कन्नौज भी जाकर ढूंढा. कई रात सोया नहीं. पत्नी के बिना मेरा जीवन ठहर सा गया. घर लौटने का भी मन नहीं किया. इसकी वजह से मैं दोस्त के पास चला गया.
राकेश ने आगे बताया कि दोस्त के यहां रहते हुए कुछ ही दिन बीते थे कि मेरी आंखों में परेशानी होने लगी. जिला अस्पताल में जांच कराया तो चिकित्सक बोले मोतियाबिंद हो गया है. जल्द ऑपरेशन करना पड़ेगा. चिकित्सक की सलाह पर 6 फरवरी को आंख का ऑपरेशन करवा लिया. इसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वह बेड नंबर 20 पर भर्ती थे. बाद में 7 फरवरी को चिकित्सकों ने उनकी आंख की पट्टी खोली तो उन्हें पास के बेड नंबर 19 से एक महिला की जानी-पहचान आवाज सुनाई दी. वह पानी मांग रही थी.