रांची/खूंटी: राजधानी से सटे तमाड़ स्थित दिउड़ी मंदिर को लेकर विवाद फिर बढ़ता नजर आ रहा है. इसको लेकर आदिवासियों का महाजुटान हुआ. रविवार को झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के विभिन्न आदिवासी संगठनों के लोग आदिवासी जनाक्रोश सभा के बैनर तले तमाड़ स्थित तोडांग मैदान पहुंचे, जहां सभी ने कहा कि यह दिउड़ी मंदिर नहीं बल्कि आदिवासियों का दिउड़ी-दिरी है. इसके साथ ही कई मुद्दों को लेकर आदिवासी समाज के प्रमुख नेताओं और धर्मगुरु बंधन तिग्गा के नेतृत्व में जनाक्रोश सभा का आयोजन किया गया.
जनाक्रोश सभा में सरकार को पांच सूत्री अल्टीमेटम के जरिए निर्णय लिया गया कि मंदिर पर गठित ट्रस्ट को रद्द किया जाए, मंदिर में तालाबंदी के मामले में दर्ज केस वापस लिया जाए और गिरफ्तार आरोपियों को रिहा किया जाए तथा हर गांव में सरना धार्मिक स्थलों को चिन्हित कर सरना धर्म न्यास बोर्ड का गठन किया जाए. अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं और मुख्यमंत्री मामले का संज्ञान नहीं लेते हैं तो एक अक्टूबर को राज्य के सभी चौक-चौराहों पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया जाएगा और चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा.
आदिवासी नेता प्रेम शाही मुंडा ने बताया कि बैठक में ट्रस्ट को भंग करने, मंदिर तालाबंदी मामले में गिरफ्तार आरोपियों को रिहा करने समेत सरकार को पांच सूत्री अल्टीमेटम के तहत अन्य मांगों को लेकर निर्णय लिए गए. अगर मुख्यमंत्री इन मामलों का संज्ञान नहीं लेते हैं तो पूरे राज्य में उनका पुतला दहन किया जाएगा. बुंडू एसडीएम किस्टो कुमार बेसरा ने कहा कि मंदिर विवाद पर ये लोग हाईकोर्ट में केस हार चुके हैं, इसलिए उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, वे चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.