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डोईवाला लेखक गांव में तीन दिवसीय महोत्सव का आगाज, देश की दिग्गज हस्तियों ने की शिरकत

महोत्सव में विदेश के 100 से अधिक छात्र करेंगे हिंदी भाषा का अध्ययन, 65 से अधिक देशों के लोग जुड़ेगे

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डोईवाला लेखक गांव में तीन दिवसीय महोत्सव का आगाज (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

डोईवाला:साहित्य, संस्कृति और कला का महाउत्सव कार्यक्रम डोईवाला के थानों लेखक गांव में आयोजित हुआ. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह व केंद्रीय फिल्म प्रमाणम बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया. तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में देश विदेश की महान हस्तियां शिरकत करेंगी.

इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा उत्तराखंड अपने नैसर्गिक सौंदर्य और विविधताओं से भरा हुआ है. उन्होंने पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को लेखक गांव की परिकल्पना को अभिभूत करने पर धन्यवाद दिया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को याद करते हुए कहा उनकी कविताएं मन मस्तिष्क पर असर डालती थी. उनकी कविताओं में गहराई भरा संदेश होता था. उनकी कविताओं की तरह साहित्य और संस्कृति को साकार करने का काम रमेश पोखरियाल निशंक कर रहे हैं. उन्होंने कहा लेखक गांव आने वाले समय में उत्तराखंड का नया डेस्टिनेशन बनेगा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा देश दुनिया में उत्तराखंड की पहचान यहां की कला संस्कृति और साहित्य से होती है. इस लेखक गांव में रचनाकार अपनी नई कविताओं का संचार करेंगे. साहित्य में रुचि रखने वाले देश विदेश के सैकड़ो साहित्यकार उत्तराखंड के इस लेखक गांव में पहुंचेंगे. उन्होंने कहा डोईवाला का लेखक गांव भी नए डेस्टिनेशन के रूप में अपनी पहचान बनाएगा. इस दौरान प्रसून जोशी ने कहा कलम की ताकत तलवार की ताकत से अधिक बड़ी होती है. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बोलते हुए कहा ये अभी साहित्य से कोसों दूर है.

पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा यह उत्सव लेखक गांव देहरादून एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है. यह कार्यक्रम साहित्य संस्कृति और कला का महा उत्सव है.उन्होंने बताया आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिंदी एवं उत्तराखंड की स्थानीय भाषाओं को समृद्ध धरोहर को पुनर्जीवित करना है. उन्होंने बताया कला संस्कृति और साहित्य में रुचि रखने वाले 65 से अधिक देशों के लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभाग करेंगे. विदेश के 100 से अधिक छात्र भी हिंदी भाषा का अध्ययन करने लेखक गांव पहुंच गए हैं.

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