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हिमाचल बिजली बोर्ड में नहीं समाप्त किए गए पद, खर्च कम करने के लिए कुछ पदों का किया युक्तिकरण - NO POST ABOLISHED IN HPSEBL

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड के प्रवक्ता ने बिजली बोर्ड में पद समाप्त करने को लेकर कर्मचारी संगठनों के आरोपों को नकार दिया है.

Himachal Pradesh State Electricity Board
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड (File Photo)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 8:50 AM IST

शिमला:"हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है." ये जानकारी हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड के प्रवक्ता अनुराग पराशर ने दी है. उन्होंने कर्मचारी संगठनों के आरोपों को नकारते हुए कहा कि बोर्ड केवल स्वतंत्र एजेंसी, हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों का पालन कर रहा है. उन्होंने बताया कि आयोग ने बिजली बोर्ड से अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलने वाली सैलरी और पेंशन का खर्च कम करने को कहा है. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का यह खर्च पूरे देश में सबसे अधिक 2.50 रुपए प्रति यूनिट है.

अनुराग पराशर ने कहा, "आयोग बिजली दरें निर्धारित करता है और बार-बार बोर्ड की आर्थिक समीक्षा कर अपनी कर्मचारी लागत कम करने के निर्देश दे रहा है, क्योंकि बोर्ड की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है? इसलिए कुछ श्रेणियों के पदों का युक्तिकरण किया जा रहा है, न कि उन्हें समाप्त किया जा रहा है. आवश्यकता पड़ने पर इन पदों पर दोबारा भर्ती की जाएगी."

कई पदों की नहीं जरूरत, इसकी जगह भरे जाएंगे टी मेट

प्रवक्ता अनुराग पराशर ने कहा कि आज बिजली बोर्ड केवल मात्र विद्युत वितरण कंपनी के रूप में काम कर रहा है. जिसका दायित्व प्रदेश के सभी बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है. इसके बावजूद बोर्ड के जेनरेशन विंग में वर्तमान में 2161 पद हैं. इनमें जेई के 148 पद, एसडीओ के 102 पद, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के 19 पद, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के 6 पद और चीफ इंजीनियर का एक पद शामिल है. वहीं, कंपनी का मुख्य काम अब बिजली उत्पादन नहीं रह गया है. इनमें सिविल एसडीओ (सिविल) के 7 पद, जेई (सिविल) के 30 पद और एसडीओ (इलेक्ट्रिक) के 15, जेई (इलेक्ट्रिकल) के 16, एक्सन (इलेक्ट्रिक) और एसई (इलेक्ट्रिक) के एक-एक पद का समायोजन किया गया है. इसके अलावा मिस्त्री, डीजी ऑपरेटर, वेल्डर, टेलीफोन एटेंडेंट, गेज रीडर, कुक, फैरो प्रिंटर जैसे पदों की आज कोई आवश्यकता नहीं रह गई है. इन पदों की जगह टी-मेट के पद भरे जाएंगे और यह फैसला बिजली बोर्ड के हित में है.

"बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति गंभीर"

अनुराग पराशर ने कहा कि कर्मचारी और अधिकारी बोर्ड की रीढ़ हैं, जो अपनी बहुमूल्य सेवाएं कर्मठता से दे रहे हैं. उनकी सेवाओं के देखते हुए ही बोर्ड ने अपने कर्मचारियों एवं पैंशनरों को डीए और संशोधित वेतनमान के एरियर के रूप में पिछले दो महीने में 134 करोड़ रुपये जारी किए हैं. पिछले कई सालों में इतनी बड़ी धनराशि कभी जारी नहीं की गई. अगर सुधार नहीं किए गए तो बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति गंभीर हो जाएगी और भविष्य में एरियर देने में भी बोर्ड सक्षम नहीं होगा.

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