देवघर:जिला के सारवां प्रखंड के दौंदिया गांव में करोड़ों की लागत से बना अस्पताल भवन हाथी का दांत साबित हो रहा है. करोड़ों रुपये खर्च कर अस्पताल का तो निर्माण करा दिया गया, लेकिन अस्पताल तक पहुंचाने का रास्ता नहीं बनाया गया है. इस कारण अस्पताल अब तक चालू नहीं हो पाया है और अस्पताल में ताला लटका रहता है. अस्पताल पहुंचने के लिए आज भी पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है. जहां लोगों का पैदल चलना मुश्किल है और एंबुलेंस और वाहन पहुंचना असंभव है.
अस्पताल भवन खंडहर में तब्दील
ईटीवी भारत की टीम सोमवार को अस्पताल भवन का पड़ताल करने पहुंची. जब टीम अस्पताल के पास पहुंची तो ऐसा लग रहा था मानों वर्षों से अस्पताल में कोई आया ही नहीं हो. वर्तमान में अस्पताल भवन खंडहर में तब्दील हो गया है. साथ ही अस्पताल परिसर में झाड़ियां उग आई हैं. वहीं अस्पताल में ताला लटका नजर आया.
स्थानीय लोगों को अस्पताल से लाभ नहीं
इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो वर्षों से अस्पताल में किसी का भी इलाज नहीं हुआ है. कभी-कभी कोई कर्मचारी पहुंचकर अस्पताल को खोलते हैं और खानापूर्ति कर चले जाते हैं.
बादल पत्रलेख ने किया था अस्पताल का उद्घाटन
वहीं रास्ते को लेकर डौंडिया गांव के पूर्व मुखिया राजाउद्दीन अंसारी बताते हैं कि करीब तीन वर्ष पहले इस अस्पताल का उद्घाटन तत्कालीन मंत्री बादल पत्रलेख के द्वारा किया गया था, लेकिन जमीन विवाद की वजह से रास्ता बनने पर निर्णय नहीं हो पाया, क्योंकि रास्ते में आने वाले कुछ जमीन गोचर नेचर की है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर स्थानीय लोगों से बातचीत की जा रही है. उम्मीद है कि जल्द ही रास्ते का विवाद खत्म होगा और अस्पताल तक जाने के लिए पहुंच पथ का निर्माण हो पाएगा.
इंजीनियर की लापरवाही से नहीं बना पहुंच पथः सीएस
वहीं इस संबंध में देवघर सिविल सर्जन डॉ. रंजन सिन्हा ने कहा कि यह समस्या बहुत दिनों से बनी हुई है. उन्होंने बताया कि इस अस्पताल को कुंडा में बनना था, लेकिन किसी कारणवश अस्पताल को डौंडिया पंचायत में बनाना पड़ा. उन्होंने कहा कि जब यह अस्पताल बन रहा था उसी समय इंजीनियर की लापरवाही की वजह से पहुंच पथ का निर्माण नहीं हो पाया था. यह समस्या आज तक बनी हुई है.