डोंगरगढ़ का पवित्र चंद्रगिरी तीर्थ स्थल, राजस्थान के कारीगर बना रहे भव्य मंदिर, जैनियों की आस्था का है केंद्र
Holy Pilgrimage Of Jains Chandragiri राजनांदगांव का डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी मंदिर के लिए विख्यात है.लेकिन इस जगह एक और तीर्थ भी है.जिसे जैनियों का तीर्थ स्थल कहा जाता है.ये तीर्थ स्थल चंद्रगिरी पहाड़ पर स्थित है.जहां एक भव्य मंदिर आकार ले रहा है.
डोंगरगढ़ में जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल चंद्रगिरी
राजनांदगांव :राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरी तीर्थ स्थल स्थित है. इस तीर्थ स्थल को जैनियों का तीर्थ भी कहा जाता है.जहां हर साल लाखों की संख्या में जैन धर्म के साथ दूसरे धर्म के अनुयायी भी आते हैं. राजनांदगांव जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ में जैन तीर्थ स्थल चंद्रगिरी है. ज्यादातर लोग डोंगरगढ़ को मां बमलेश्वरी मंदिर के कारण ही जानते हैं.लेकिन आध्यात्म के केंद्र में जैन, बौद्ध और ईसाई धर्म से संबंधित स्थल भी हैं.
चंद्रगिरी तीर्थ स्थल में बन रहा भव्य जैन मंदिर :चंद्रगिरी तीर्थ स्थल में भव्य जैन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है.मंदिर निर्माण के बाद 21 फुट की चंद्रप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इस मंदिर में चंद्रप्रभु के साथ ही जैन धर्म से संबंधित तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भी स्थापित होंगी. राजस्थान के लाल पत्थरों का इस्तेमाल करके जैन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है.
किशोर कुमार जैन अध्यक्ष चंद्रगिरी तीर्थ ट्रस्ट डोंगरगढ़ ने बताया कि 2011-12 में मंदिर निर्माण की नींव रखी गई थी. दो ढाई साल में यह मंदिर अब बनकर तैयार होगा. राजस्थान के कारीगरों ने मंदिर का निर्माण किया है.
'' 7 साल पहले आचार्य मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज ने डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी पर्वत में मंदिर की आधारशिला रखी थी. राजस्थान से ले गए पत्थरों से जैन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. यहां भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही जैन धर्म के अन्य तीर्थंकरों की भी प्रतिमाएं लगेंगी.'' किशोर कुमार जैन, अध्यक्ष, चंद्रगिरी ट्रस्ट
आचार्य विद्यासागर जी की बनेगी समाधि :चंद्रगिरी तीर्थ स्थल जैन धर्म के एक बड़े तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित हो रहा है. पूरे देश से जैन मुनि और जैन धर्म से जुड़े अनुयायी यहां आते हैं. विश्व विख्यात जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का देवलोक गमन भी इसी जगह हुआ. जैन धर्म अनुसार विद्यासागर जी सल्लेखना करते हुए ब्रह्मलीन हुए. इसके बाद चंद्रगिरी में ही उनकी समाधि बनाई जाएगी.