होलिका दहन के समय रखें इन खास बातों का ध्यान, न करें ये गलती, तभी होली होगी सुखदायक - how to do holika dahan
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. ये परम्परा सालों से चली आ रही है. कहा जाता है कि होलिका में बुराइयों को जलाकर लोग रंगोत्सव मनाते हैं. लेकिन कई लोग होलिका दहन के समय कई तरह की गलतियां करते हैं. आइए जानते हैं होलिका दहन के समय किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.
सरगुजा: होली के त्यौहार के एक दिन पहले रात में होलिका दहन होता है. ये काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हालांकि ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि लोग कोई भी लकड़ी होलिका में जला देते हैं. कई लोग टायर और प्लास्टिक की चीजें भी होलिका में जला देते हैं. जो कि सही नहीं माना जाता है. ये सनातन नियम और पर्यावरण दोनो की दृष्टि से गलत है.
होलिका दहन के क्या नियम हैं? होलिक दहन के समय क्या जलाना चाहिए? इस विषय में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिषाचार्य पं. दीपक शर्मा से बातचीत की.
जानिए होलिका दहन के नियम: पंडित दीपक शर्मा कहते हैं कि, "होलिका दहन की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से होती है. इस दिन होलिका जलाने वाले स्थान को साफ सुथरा करके गोबर से लीपकर वहां एक हरा बांस लगा दिया जाता है. इस स्थान पर पांचोपचारी की पूजा की जाती है. प्रायः पहले के समय में लोगों के घर लकड़ी के होते थे. पर्याप्त लकड़ी लोगों के घरों में होती थी, तो लोग उस स्थान पर अपने घर से लकड़ी लाकर जमा कर देते थे, लेकिन अब ऐसा संभव नही है. तो लोग होलिका में कुछ भी जला दे रहे हैं. कई लोग अशुद्ध लकड़ियां, टायर, प्लास्टिक जैसी चीजें जला रहे हैं, ये सही नहीं है."
पर्यावरण को सुरक्षित रखना जरूरी: दीपक शर्मा कहते हैं, "सामान्य सी बात है कि जहां पूजन होना है, वहां शुद्धता काफी जरूरी है. इसलिए आम, छयूला, पीपल जैसी लकड़ियों को जलाएं, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान ना पहुंचे. साथ ही धार्मिक रिवाज भी पूरा हो सके. पर्यावरण को सुरक्षित रखना भी हर आदमी का दायित्व है, इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि प्लास्टिक टायर जैसी चीजें ना जलाये. अगर आप गाय के गोबर के उपलों की होली जलाएं तो वो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से और भी बेहतर है."
इन खास नियमों का पालन करते हुए अगर होलिका दहन की जाती है तो वातावरण तो शुद्ध रहता ही है. साथ ही लोगों के जीवन में हर चीजें पॉजिटिव होत है.