रायपुर :स्वामी विवेकानंद देश की उन हस्तियों में शुमार हैं,जिन्होंने भारत का नाम पूरे विश्व पटल पर चमकाया है. बीती 12 जनवरी को पूरे देश ने युवा दिवस के तौर पर स्वामी विवेकानंद जयंती मनाई. छत्तीसगढ़ से भी स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता था. अविभाजित मध्यप्रदेश में स्वामी विवेकानंद ने काफी समय गुजारा.इस दौरान उनकी कई स्मृतियां आज भी लोगों को उनकी मौजूदगी का अहसास दिलाती है.लेकिन जिस स्थान पर स्वामी विवेकानंद ने अपना समय व्यतीत किया उस स्थान को आज भुला दिया गया है. ना ही सरकार और ना ही प्रशासन ने इस स्थान पर कोई ध्यान दिया.जिसके कारण ये जगह खंडहर में तब्दील हो गई.आज इस भवन की कोई सुध लेने वाला नहीं है.
स्मारक बनाने की घोषणा नहीं हुई पूरी :जानकारों की माने तो स्वामी विवेकानंद 2 साल तक रायपुर में रहे ,इस दौरान उन्होंने जिस भवन में समय बिताया था ,उस जगह को यादगार बनाने के लिए स्मारक बनाने की लगातार मांग की गई. इस बीच पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने स्मारक बनाने की घोषणा की थी, लेकिन 3 साल बाद भी वहां स्मारक नहीं बन सका है. आखिर स्वामी विवेकानंद की इस भवन से क्या यादें जुड़ी है और इसे लेकर किस तरह की घोषणा की गई थी. आइये जानने की कोशिश करते हैं.
कहां है डे भवन ?:रायपुर के बूढ़ा तालाब के पास एक पुराना भवन है, जिसे डे भवन के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि डे भवन में ही स्वामी विवेकानंद ने अपना काफी समय गुजारा है. जानकारी के मुताबिक स्वामी विवेकानंद साल 1877 से लेकर 1879 तक रायपुर में रुके थे. उनके साथ उनका परिवार भी यहां था. लोगों का ये भी कहना है कि कोलकाता के बाद स्वामी विवेकानंद ने यदि कहीं सबसे ज्यादा समय गुजारा है तो वो रायपुर है. जहां वे काफी लंबे समय तक रहे.इतना ही नहीं इस दौरान वे रायपुर के बूढ़ा तालाब में स्नान करने भी जाते थे. साथ ही यहां आस-पास के कई मंदिर में भी वे दर्शन करने गए. इसके अलावा भी ऐसी कई जगह है जहां स्वामी विवेकानंद ने भ्रमण किया.
खंडहर में बदला भवन :जिस डे भवन में स्वामी विवेकानंद रुके थे, वो भवन आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है.भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है, कई सालों से भवन में ताला जड़ा है. साफ सफाई नहीं होने से धूल ने पूरे भवन को आगोश में ले रखा है. भवन को देखने पर लगता है मानो कई सालों से यहां किसी ने कदम नहीं रखा. इस ऐतिहासिक भवन के आसपास कई नई इमारतें शान से खड़ी हैं.जिनकी चमक ने डे भवन की अस्तित्व को फीका करने की कोशिश की है. अब हालात ऐसे बन गए हैं कि डे भवन खुद ही जमीदोज होने की कगार पर है.लेकिन इस इमारत की ये हालत सदियों से नहीं बल्कि कुछ साल पहले ही इतनी बदतर हुई है.
स्कूल होता था संचालित :जानकारी के मुताबिक डे भवन में पहले एक स्कूल संचालित होती था. तब तक यह भवन देखने योग्य था. लेकिन जब से इसे स्वामी विवेकानंद की याद में स्मारक बनाए जाने की घोषणा की गई,यहां स्कूल का संचालन बंद हुआ और भवन बंद कर दिया. ये घोषणा कांग्रेस शासन काल में हुई थी.लेकिन अब ना तो कांग्रेस का शासन है और ना ही इस भवन का कोई सुध लेने वाला विभाग. इतिहासकार डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र के मुताबिक स्वामी विवेकानंद से जुड़े कई प्रमाण मौजूद हैं. यही वजह थी कि इस डे भवन को स्वामी विवेकानंद की याद में स्मारक बनाए जाने की मांग वे लगातार करते आ रहे हैं. ये मांग आज से नहीं बल्कि राज्य बनने के समय से ही की गई. अजीत जोगी की सरकार में रमेंद्रनाथ मिश्र ने डे भवन को स्मारक बनाए जाने की चर्चा की थी, बाद में रमन सरकार में भी उन्होंने इसे स्मारक बनाए जाने को लेकर सरकार से मांग की थी.
10 दिसंबर 2010 को इस भवन के मालिक के भतीजे ने भी एक संकल्प पत्र दिया था. उस पत्र पर उनके अलावा मेरे भी हस्ताक्षर थे.जिसमें इस भवन को स्वामी विवेकानंद की याद में स्मारक बनाए जाने की बात कही गई थी. इसके बाद भूपेश सरकार में भी लगातार डे भवन को स्वामी विवेकानंद के स्मारक के रूप में बनाए जाने की मांग की- डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार