हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

हिमाचल में बर्फबारी, अब जल्द पूरे होंगे चिलिंग आवर्स, जानें क्यों है जरूरी

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 1, 2024, 2:34 PM IST

Chilling Hours For Apple Tree: हिमाचल प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद बीते दिन से भारी बारिश और बर्फबारी हो रही है. ऐसे में सेब बागवानों ने राहत भरी सांस ली है. बर्फबारी के चलते अब सेब के पेड़ों के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होने की उम्मीद जताई जा रही है. बर्फबारी ने होने के चलते कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब तक चिलिंग ही शुरू नहीं हो पाई थी.

Chilling Hours For Apple Tree
Chilling Hours For Apple Tree

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद अब बारिश-बर्फबारी हो रही है. बुधवार से ही प्रदेश में बारिश और बर्फबारी का सिलसिला जारी है. जहां मैदानी इलाकों में जमकर बारिश हो रही है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी हो रही है. ऐसे में तीन माह के सूखे के बाद बारिश और बर्फबारी कृषि व बागवानी क्षेत्र के लिए संजीवनी बनकर आई है.

सेब के लिए पूरे होंगे चिलिंग आवर्स! वहीं, अब सेब बागवानों को भी उम्मीद है कि सब के पेड़ के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स (किसी भी पेड़ और फल की वृद्धि के लिए जरूरी ठंड का समय) अब जल्द पूरे होंगे. सेब के पेड़ के लिए 1000 से 1200 घंटे चिलिंग आवर्स का होना जरूरी होता है, लेकिन बर्फबारी और बारिश न होने के चलते यह इस साल पूरे नहीं हो पाए थे. अब पूरे पहाड़ी क्षेत्र में बर्फबारी हो रही है और इससे इलाके में भी ठंड बढ़ गई है. बागवानों को उम्मीद है कि अब जल्द ही यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएंगे, ताकि आने वाले दिनों में सेब की फसल अच्छी हो सके.

सेब के लिए कितने चिलिंग आवर्स जरूरी?सेब के पेड़ों के लिए चिलिंग आवर्स के लिए न्यूनतम तापमान 7 डिग्री या इससे कम होना जरूरी होता है, लेकिन 3 माह से बारिश व बर्फबारी ना होने के चलते ऊंचाई वाले इलाकों को छोड़कर ज्यादातर सेब बहुल इलाकों में यह तापमान 7 डिग्री से अधिक बना रहा. जिससे पूरे प्रदेश में बागवानों की चिंता बढ़ गई थी. सेब की स्पर वैरायटी के लिए 500 से 700 घंटे चिलिंग की जरूरत होती है. जबकि पुरानी रॉयल डिलीशियस की किस्म के लिए यह चिलिंग आवर्स 1000 से 1200 घंटे होने चाहिए, क्योंकि सर्दी में पौधे के पोषक तत्व तनों से उतरकर जड़ों में चले जाते हैं. इसलिए सर्दियों में जितना कम तापमान होगा. उतने ही अच्छे ढंग से पोषक तत्व मार्च, अप्रैल माह में गर्मी बढ़ने के साथ पौधे में समान रूप में फैलेंगे और सेब के पेड़ में अच्छी फ्लावरिंग होती है.

वहीं, प्रदेश के बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार समुद्र तल से 6500 फीट या इससे कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चिलिंग ही शुरू नहीं हो पाई थी. अब पूरे प्रदेश में बर्फबारी हुई है और इसे अब ठंडक भी बढ़ गई है. बागवानों को उम्मीद है कि अब चिलिंग आवर्स पूरे होंगे और सेब की अच्छी फसल भी होगी.

जनवरी तक पूरे हो जाते थे चिलिंग आवर्स:प्रदेश के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज का कहना है कि बर्फबारी के बाद अब बागवान अपने सेब के बगीचे में तौलिया बनाने (जड़ों के पास खुदाई करने), खाद डालने और प्रूनिंग का काम कर सकते हैं, क्योंकि बर्फबारी के बिना यह सब काम बंद पड़े हुए थे. इस समय यह जो बर्फबारी हुई है, इससे ठंडक बढ़ेगी और यह सेब के पेड़ के लिए काफी फायदेमंद होगी. उन्होंने बताया कि नवंबर माह से ही चिलिंग आवर्स शुरू हो जाते थे और जनवरी तक यह आवाज पूरे हो जाते थे, लेकिन इस साल मौसम की बेरुखी के कारण इस प्रक्रिया में भी देरी हुई है. अब बागवान अपने सेब के बगीचे में बाकी सभी कामों को पूरा कर सकते हैं.

हिमाचल में सेब का कारोबार: गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में सेब का 5000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होता है और 4 लाख से ज्यादा बागवान सेब की बागवानी पर निर्भर है. ऐसे में अब बर्फबारी के चलते पूरे प्रदेश में सेब बागवानों के चेहरों पर चमक आ गई है. जहां पहले बागवान सेब के पेड़ों के लिए चिलिंग आवर्स को लेकर परेशान थे. वहीं, अब बागवानों को भारी बर्फबारी के चलते सेब की अच्छी पैदावार की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें:पहाड़ों की रानी शिमला में सीजन की पहली बर्फबारी, सैलानी जमकर उठा रहे लुत्फ

ABOUT THE AUTHOR

...view details