कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद अब बारिश-बर्फबारी हो रही है. बुधवार से ही प्रदेश में बारिश और बर्फबारी का सिलसिला जारी है. जहां मैदानी इलाकों में जमकर बारिश हो रही है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी हो रही है. ऐसे में तीन माह के सूखे के बाद बारिश और बर्फबारी कृषि व बागवानी क्षेत्र के लिए संजीवनी बनकर आई है.
सेब के लिए पूरे होंगे चिलिंग आवर्स! वहीं, अब सेब बागवानों को भी उम्मीद है कि सब के पेड़ के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स (किसी भी पेड़ और फल की वृद्धि के लिए जरूरी ठंड का समय) अब जल्द पूरे होंगे. सेब के पेड़ के लिए 1000 से 1200 घंटे चिलिंग आवर्स का होना जरूरी होता है, लेकिन बर्फबारी और बारिश न होने के चलते यह इस साल पूरे नहीं हो पाए थे. अब पूरे पहाड़ी क्षेत्र में बर्फबारी हो रही है और इससे इलाके में भी ठंड बढ़ गई है. बागवानों को उम्मीद है कि अब जल्द ही यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएंगे, ताकि आने वाले दिनों में सेब की फसल अच्छी हो सके.
सेब के लिए कितने चिलिंग आवर्स जरूरी?सेब के पेड़ों के लिए चिलिंग आवर्स के लिए न्यूनतम तापमान 7 डिग्री या इससे कम होना जरूरी होता है, लेकिन 3 माह से बारिश व बर्फबारी ना होने के चलते ऊंचाई वाले इलाकों को छोड़कर ज्यादातर सेब बहुल इलाकों में यह तापमान 7 डिग्री से अधिक बना रहा. जिससे पूरे प्रदेश में बागवानों की चिंता बढ़ गई थी. सेब की स्पर वैरायटी के लिए 500 से 700 घंटे चिलिंग की जरूरत होती है. जबकि पुरानी रॉयल डिलीशियस की किस्म के लिए यह चिलिंग आवर्स 1000 से 1200 घंटे होने चाहिए, क्योंकि सर्दी में पौधे के पोषक तत्व तनों से उतरकर जड़ों में चले जाते हैं. इसलिए सर्दियों में जितना कम तापमान होगा. उतने ही अच्छे ढंग से पोषक तत्व मार्च, अप्रैल माह में गर्मी बढ़ने के साथ पौधे में समान रूप में फैलेंगे और सेब के पेड़ में अच्छी फ्लावरिंग होती है.