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देवभूमि हिमाचल की शांत वादियों में क्यों गूंजा मस्जिद विवाद, सुखविंदर सरकार में कैबिनेट मंत्री के बयान से मच गई थी देश भर में हलचल - YEAR ENDER 2024

साल 2024 में हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में हुए अवैध निर्माण का मुद्दा पूरे देश में छाया रहा.

शिमला मस्जिद विवाद
शिमला मस्जिद विवाद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 26, 2024, 3:35 PM IST

शिमला: करीब 97 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या वाले शांत राज्य हिमाचल प्रदेश में 2024 एक ऐसे विवाद का साल रहा, जिसकी वजह से देवभूमि देश भर में सुर्खियों में रही. राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में एक मस्जिद आजादी के समय की बताई जाती है. अगस्त महीने में शिमला के ही एक अन्य उपनगर मल्याणा में मारपीट की घटना होती है. मारपीट के आरोपियों का बाद में कथित रूप से संजौली की मस्जिद में छिपने का समाचार आता है. गुस्साए लोग मस्जिद के पास पहुंचकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए विरोध जताते हैं.

शिमला के डीसी, एसपी व नगर निगम शिमला के कमिश्नर भीड़ को समझाते हैं. आश्वासन मिलता है कि कार्रवाई होगी। गुस्साए लोग मान जाते हैं, लेकिन इसी बीच संजौली मस्जिद में अवैध रूप से बनाई जा रही तीन मंजिलों का मामला सामने आता है. विधानसभा का मानसून सेशन जारी था. सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह सदन में एक ऐसा बयान देते हैं, जो देश भर की सुर्खियों में छा जाता है. मानसून सेशन में नियम-62 के तहत मल्याणा में मारपीट और फिर संजौली मस्जिद में आरोपियों के छिपने से जुड़े मामले पर चर्चा हो गई.

कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में यहां तक कहा कि बाहर से आ रहे लोग माहौल खराब कर रहे हैं. उन्होंने लव जिहाद की बात कही और यहां तक दावा किया कि रोहिंग्या भी हिमाचल में आ चुके हैं. अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद को अवैध बताते हुए कहा कि उसे गिराया जाना चाहिए. उनके इस बयान की देश भर में चर्चा हो गई. संजौली में 11 सितंबर को विशाल प्रदर्शन हुआ. सैंकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, लेकिन भारी भीड़ के आगे पुलिस की एक न चली. लाठीचार्ज हुआ, पुलिस पर पथराव भी किया गया और अंतत: हिंदु समुदाय का गुस्सा देखते हुए मस्जिद कमेटी ने सामने आकर कहा कि वो अवैध निर्माण गिराने को तैयार हैं. इस समय मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों में पचास प्रतिशत निर्माण हटाया जा चुका है. मामला अदालत में चल रहा है. यहां ईटीवी की ईयर एंडर सीरीज के तहत इस मामले की सिलसिलेवार कड़ियां जोड़ते हैं.

अगस्त के अंत में मारपीट की घटना से तनाव

अगस्त महीने की 30 तारीख की रात को शिमला के समीपवर्ती उपनगर मल्याणा में विक्रम सिंह नामक कारोबारी अपनी दुकान बंद कर घर जा रहा था. आरोप है कि वहां समुदाय विशेष के युवाओं ने उसके साथ मारपीट की. विक्रम सिंह के सिर में गंभीर चोटें आई और 14 टांके लगे. मारपीट के आरोपियों में दो तो नाबालिग थे. ढली थाना में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार विक्रम सिंह 30 अगस्त की रात साढ़े आठ बजे अपना लोक मित्र केंद्र बंद कर घर जा रहा था कि रास्ते में एक लड़का शोर मचा रहा था. विक्रम ने उसे रोका तो वहां मोहम्मद गुलनवाज अपने अन्य साथियों के साथ आया और वे मारपीट करने लगे. एक लड़के ने डंडे से विक्रम के सिर पर प्रहार किया.

शिकायत में कहा गया कि गुलनवाज और उसके साथियों ने जयपाल व राजीव शर्मा से भी मारपीट की. ढली पुलिस ने छह आरोपियों की पहचान की. इनमें एक आरोपी उत्तराखंड का और बाकी सभी यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे. जब मल्याणा के लोग पुलिस के एक्शन से संतुष्ट नहीं हुए तो संजौली में मस्जिद के समक्ष प्रदर्शन कर उसे अवैध बताते हुए गिराने की मांग की गई.

सदन में पहुंचा मामला, सत्ता पक्ष में दिखी दरार

विधानसभा का मानसून सेशन जारी था. इसी बीच, संजौली में मस्जिद विवाद सामने आ गया. इस पर सदन में नियम-62 में चर्चा हुई तो अनिरुद्ध ने सख्त रुख अपनाया. मामला सियासी भी हो गया और सत्ता पक्ष में दरार दिखी. दरअसल, संजौली उपनगर शिमला शहरी विधानसभा में आता है. वहीं, मल्याणा का इलाका कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के तहत है. शिमला शहरी से कांग्रेस विधायक हरीश जनार्था का कहना था कि दूसरे विधानसभा क्षेत्र की मारपीट का मसला उनके विधानसभा क्षेत्र में नहीं आना चाहिए था. वहीं, अनिरुद्ध सिंह का कहना था कि संजौली वाला आंदोलन बिल्कुल सही था और वे इसकी जिम्मेदारी लेते हैं.

सितंबर महीने में संजौली पहुंच गया देश भर का मीडिया

हिंदु संगठनों ने देवभूमि संघर्ष समिति के बैनर तले 11 सितंबर को मस्जिद में अवैध निर्माण को गिराने की मांग को लेकर भारी प्रदर्शन किया. देश भर का मीडिया शिमला में जुट गया. संजौली में सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. संजौली में प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए इतना अधिक पुलिस बल था कि यहां ऐसा दृश्य पहली बार देखने में आया. देश भर के मीडिया कर्मी संजौली के बाशिंदों से बात करना चाहते थे. इस आंदोलन का असर हुआ कि नगर निगम कमिश्नर की कोर्ट में चल रहे अवैध निर्माण के मामले की सुनवाई में सक्रियता और तेजी दिखाई दी. इससे पूर्व 7 सितंबर को एमसी शिमला कोर्ट में सुनवाई हुई और आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने संजौली मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड से कई सवाल पूछे. मामले की सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की गई.

मुस्लिम पक्ष ने खुद कर डाली अवैध निर्माण हटाने की पहल

इस बीच, 11 सितंबर के आंदोलन की इंटेसिटी देखते हुए मुस्लिम पक्ष ने फैसला लिया कि वे खुद मस्जिद का अवैध निर्माण हटाने के लिए तैयार हैं. मस्जिद के इमाम शहजाद, संजौली मस्जिद कमेटी के मुखिया लतीफ मोहम्मद व अन्यों ने एमसी कमिश्नर भूपेंद्र अत्रि से मिलकर एक आग्रह पत्र दिया और कहा कि वे खुद निर्माण हटाने को तैयार हैं. एमसी उन्हें अनुमति दे तो वे अवैध निर्माण को हटा देंगे. एमसी कमिश्नर ने मुस्लिम पक्ष की पहल का स्वागत किया. बाद में 13 सितंबर को सचिवालय में इस मामले में सर्वदलीय बैठक हुई. इस मीटिंग में शांति बनाए रखने की अपील की गई. साथ ही विधानसभा अध्यक्ष से एक संयुक्त समिति का गठन कर स्ट्रीट वेंडर्स नीति बनाने की बात कही गई.

शांत हो रहा था माहौल, शोएब जमई के दौरे से भड़की आग

इस बीच, माहौल शांत हो रहा था, लेकिन शोएब जमई नामक एक कथित मुस्लिम नेता ने संजौली का दौरा किया और कहा कि मस्जिद को शहीद नहीं होने दिया जाएगा. उनके दौरे से मुस्लिम समुदाय ने ही पल्ला झाड़ लिया और कमेटी के मुखिया मोहम्मद लतीफ ने कहा कि शोएब जमई को भाजपा की बी-टीम करार दिया. यही नहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने भी जब अनिरुद्ध सिंह के सदन में दिए बयान पर प्रतिक्रिया जताई थी तो यहां के मुस्लिम समुदाय ने ओवैसी को नसीहत दी थी कि उन्हें हिमाचल के बारे में बोलने का हक नहीं है.

एमसी ने 5 अक्टूबर को दिया अवैध मंजिलें गिराने का आदेश

एमसी कोर्ट में 5 अक्टूबर को मामले की सुनवाई में कमिश्नर ने मस्जिद कमेटी को दो महीने में मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को गिराने का आदेश जारी किया. मस्जिद कमेटी को कहा गया कि वे निर्माण अपने खर्च पर गिराएंगे. एमसी कमिश्नर कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाद में ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने जिला अदालत में अपील दाखिल की. जिला अदालत से भी मुस्लिम पक्ष को राहत नहीं मिली और उनकी अपील खारिज हो गई. अब हालात ये हैं कि संजौली मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों के हटाए जाने का पचास फीसदी काम पूरा हो चुका है. मस्जिद कमेटी ने एमसी कोर्ट से आग्रह किया है कि उन्हें बाकी का निर्माण हटाने के लिए और समय दिया जाए. सर्द मौसम में अवैध निर्माण हटाने के लिए श्रमिक भी नहीं मिल रहे हैं. अब एमसी कोर्ट ने अगले साल मार्च तक का समय दिया है.

संजौली ही नहीं, मंडी व कुसुम्पटी में भी विवाद

संजौली में मस्जिद का मामला सामने आने के बाद ही कुसुम्पटी में भी मस्जिद को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया. बाद में ये चिंगारी सितंबर महीने में ही मंडी की जेल रोड स्थित मस्जिद तक पहुंची. एमसी मंडी ने भी 13 सितंबर को जेल रोड की मस्जिद के अवैध निर्माण को हटाने के आदेश दिए. मुस्लिम समुदाय ने यहां खुद आगे आकर अवैध निर्माण हटा दिया. इस तरह साल 2024 में अगस्त के बाद मस्जिद विवाद के कारण सारे देश का ध्यान हिमाचल की तरफ लग गया. मस्जिद विवाद का नतीजा ये निकला कि प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण शुरू हुआ. खुद राज्यपाल ने एक ही डेट के आधार कार्ड मिलने पर चिंता जताई.

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने यहां तक कहा कि देवभूमि हिमाचल को बाहरी लोग ऐशगाह न बनाएं. राज्यपाल का कहना था कि पंजीकरण के बाद ही प्रवासियों को यहां काम करने की अनुमति मिलनी चाहिए. फिलहाल, इन सारे विवादों में अनिरुद्ध सिंह के सदन में दिए गए वक्तव्य ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरी. अभी हिमाचल में माहौल पूरी तरह से शांत है. हिमाचल हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद की स्थितियों पर अब सभी की नजरें हैं. हाईकोर्ट ने एमसी शिमला को कहा है कि संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर वर्ष 2010 की शिकायत पर फाइनल डिसीजन लिया जाए. उम्मीद की जानी चाहिए कि हिमाचल में ये विवाद फिर से नहीं उठेंगे और कानून के अनुसार सभी पक्ष काम करेंगे.

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