शिमला: हिमाचल के विधानसभा स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित करने के बाद 6 बागी पंचकूला के होटल में हैं लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया के सहारे मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस आलाकमान तक निशाने साध रहे हैं. मंगलवार को राजेंद्र राणा ने सोशल मीडिया पर लंबी चौड़ी पोस्ट डाली थी और आज सुधीर शर्मा ने भी ऐसी ही एक पोस्ट डाली है. दोनों ही नेताओं ने जनता के नाम एक तरह का खुला पत्र लिखा है जिसमें अपनी बगावत की वजह भी बताई है.
'मुझे जलील किया जा रहा था'
सुधीर शर्मा के मुताबिक उन्होंने जनता के लिए ही अपनी सरकार के खिलाफ झंडा बुलंद किया. विकास और जनहित को सर्वोपरि बताते हुए सुधीर शर्मा ने कहा कि हमने कांग्रेस की सरकार बनाने में बहुत मेहनत की लेकिन हाइकमान ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली. चापलूसी और तलवे चाटने की बजाय सरकार में रहते हुए अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की और हुकूमत के गलत फैसलों को आगे भी चैलेंज करता रहूंगा.
"मैंने तलवे चाटने की राजनीति नहीं की बल्कि इलाका वासियों के साथ कहीं अन्याय होते देखा तो राजनीतिक नफा नुकसान को तरजीह देने की बजाय सरकार में रहते हुए भी अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की. जनता भलीभांति इस बात को जानती है कि मैं विकास का पक्षधर रहा हूं. जनता की भावनाओं के साथ खड़ा रहा हूं.. हुकूमत के गलत फैसलों को चैलेंज करने में कभी पीछे नहीं रहा हूं.. मेरे लिए कुर्सी मायने नहीं रखती. मेरे लिए प्रदेश का स्वाभिमान मायने रखता है. मेरे लिए जनता का दुख दर्द मायने रखता है.. जनता की आशाओं को पूरा करने के लिए दिन-रात एक करना मायने रखता है.. और जनता के सपनों को धरातल पर उतारना मायने रखता है"
सीएम सुक्खू पर तीखा हमला
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही सुधीर शर्मा को जान से मारने की धमकी मिली थी. सुधीर शर्मा के मुताबिक उन्होंने उस समय मुख्यमंत्री और डीजीपी को इसकी शिकायत की थी और एक कांग्रेस नेता पर ही गैंगस्टर का नाम लेकर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था. अपनी पोस्ट में उन्होंने उस बात का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोला है.
"जब लगातार मुझे राजनीतिक तौर पर जलील किया जा रहा था, विकास के मामले में इलाके की अनदेखी की जा रही थी, मेरे जैसे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाने के लिए घिनौनी हरकतें की जा रही थी, यहां तक कि मुझे रास्ते से हटाने के लिए पार्टी के भीतर ही किसी नेता ने कुछ ताकतों को सुपारी तक दे दी थी तो फिर खामोश कैसे बैठा जा सकता था. हाई कमान की आंख पर पट्टी और प्रदेश के सत्ताधीश मित्र मंडली से घिरकर जब तानाशाह बन बैठे हों तो कायरों की तरह हम भीगी बिल्ली बनकर जनता के भरोसे को नहीं तोड़ सकते. पहाड़ के लोगों के साथ अन्याय होता नहीं देख सकते. किसी को प्रदेश हित गिरवी रखते नहीं देख सकते. सड़क पर धरना लगाए बैठे युवाओं की पीड़ा नहीं देख सकते"