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मानसून सीजन ने इस बार भी हिमाचल को दिए गहरे जख्म, बरसात से 1360 करोड़ की संपत्ति का नुकसान

हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन से 1360 करोड़ की सरकारी-निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. सबसे ज्यादा नुकसान पीडब्ल्यूडी विभाग को हुआ है.

Himachal Disaster Damage
हिमाचल में आपदा से भारी नुकसान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 16, 2024, 2:18 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश से मानसून इसी महीने के पहले सप्ताह में विदा हो गया है. प्रदेश में इस बार सामान्य से कम बारिश होने पर भी मानसून सीजन कई जख्म दे गया है. प्रदेश में 1360 करोड़ की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. आपदा प्रबंधन विभाग ने नुकसान की फाइनल रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेज दी है. प्रदेश में सबसे अधिक नुकसान बादल फटने के बाद आई भीषण बाढ़ से हुआ है. ऐसे में सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर केंद्र से नुकसान की भरपाई के लिए फंड मुहैया हो सकता है, लेकिन अभी मानसून से हुए नुकसान का केंद्र सरकार भी अपने स्तर पर आकलन करेगी.

सड़कों को सबसे ज्यादा नुकसान

हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में सबसे ज्यादा नुकसान पीडब्ल्यूडी विभाग को हुआ है. भारी बारिश से आई बाढ़, लैंडस्लाइड, डंगे और पुल टूटने से लोक निर्माण विभाग को 633 करोड़ का नुकसान हुआ है. इसी तरह से जल शक्ति विभाग को 540 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा. बाढ़ और लैंडस्लाइड से पेयजल लाइनें टूटने के कारण बरसात में लोगों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ा. मानसून सीजन ने बागवानों की भी कमर तोड़ी है. भारी बरसात से बागवानी विभाग को 139 करोड़ की क्षति हुई है. कृषि विभाग को 1 करोड़ 32 लाख की चपत लगी है. वहीं, बिजली बोर्ड को 98 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है. मानसून सीजन में प्रदेश भर में 27 जून से 342 लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा 28 लोग अभी भी लापता हैं. बरसात में हादसों की वजह से हुई मौत को लेकर प्रदेश सरकार ने 13 करोड़ 68 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर मृतकों के परिजनों को बांटे हैं.

पिछले मानसून सीजन में हुआ था 9700 करोड़ का नुकसान

हिमाचल में पिछली बार मानसून सीजन में सदी की सबसे बड़ी त्रासदी आई थी. इस दौरान प्रदेश में सरकारी और निजी संपत्ति को 9700 करोड़ का नुकसान हुआ था. मानसून सीजन के दौरान 509 बहुमूल्य जीवन अकाल मौत का ग्रास बन गए थे. बरसात की वजह से कच्चे और पक्के मकानों को नुकसान होने से 23 हजार परिवार प्रभावित हुए थे. जिसके पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार ने 4500 करोड़ के बजट का प्रावधान किया था.

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