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शहीद दिलवर खान को राजकीय सम्मान के साथ किया गया सुपुर्द-ए-खाक, सैकड़ों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई - Martyr Dilwar Khan

Martyr Dilwar Khan buried with state honours in Una : जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आंतकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए हिमाचल के जवान दिलवर खान को आज उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस दौरान शहीद के परिजनों के साथ सैकड़ों लोगों नम आंखों ने दिलवर खान को अंतिम विदाई दी. पढ़िए पूरी खबर...

शहीद दिलवर खान को राजकीय सम्मान के साथ किया गया सुपुर्द-ए-खाक
शहीद दिलवर खान को राजकीय सम्मान के साथ किया गया सुपुर्द-ए-खाक (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 10:00 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 11:04 PM IST

शहीद दिलवर खान को राजकीय सम्मान के साथ किया गया सुपुर्द-ए-खाक (ETV Bharat)

ऊना:जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लड़ते हुए अपनी मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले 28 आरआर के नायक दिलवर खान (28 वर्ष) को वीरवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. शहीद का पार्थिव शरीर दोपहर 3 बजे बंगाणा उपमंडल में उनके पैतृक गांव घरवासड़ा लाया गया. शहीद को दिलवर खान को देखते ही गांव में हर दिल गमगीन और हर आंख नम हो गई. शाहिद के पिता कर्मवीर ने जहां अपने बेटे के इस सर्वोच्च बलिदान को गौरवपूर्ण बताया, वही मां और धर्मपत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था.

जिला ऊना के दूर दराज गांव घरवासड़ा के रहने वाले वीर सैनिक दिलवर खान ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हुए वीरगति को प्राप्त किया है. जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए दिलवर खान शहीद हुए. वीरवार बाद दोपहर करीब 3 बजे उनके पार्थिव देह को पैतृक गांव घरवासड़ा लेकर आया गया. जहां सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्र के राजनीतिज्ञों और पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने भी शहीद दिलवर खान को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके इस सर्वोच्च बलिदान को देश पर ऋण बताया.

गांव वालों ने अपने वीर बेटे की अंतिम यात्रा में भारी संख्या में शामिल होकर उन्हें विदाई दी. हर आंख में आंसू थे, लेकिन दिल में गर्व भरा था. सेना के जवानों ने राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर दिया. इस दौरान नमाज-ए-जनाजा अता करके शहीद को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. पूरे वातावरण में शहीद दिलवर खान के बलिदान की गूंज थी. शहीद जवान के परिवार में उनके कृषक पिता कर्मदीन, माता भोला बीबी, धर्मपत्नी जमीला बीबी और उनका 3 साल का बेटा जुनैद, एक भाई और एक बहन है.

बता दें, वर्ष 1996 में जन्मे दिलवर महज 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए थे. उनका सपना देश की सेवा करना था और इस सपने को पूरा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति तक दे डाली. इस मौके पर शाहिद के बुजुर्ग पिता कर्मदीन जहां बेटे के बिछड़ने के गम में गमजदा नजर आए, वही दिलवर के सर्वोच्च बलिदान से गौरवांवित भी अनुभव कर रहे थे.

दिलवर खान के रिश्तेदारों ने जहां अपने बेटे के बलिदान को गौरवपूर्ण बताया. वहीं, उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस शहादत का बदला आतंकियों के रक्त से लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि और किसी का बेटा युवा अवस्था में शहादत को ना पाए, इसके लिए आतंकवाद को पूरी तरह से कुचल देना चाहिए. उन्होंने कहा कि खून का बदला खून से ही लिया जाए.

विधायक विवेक शर्मा ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि हिमाचल के जवान देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहकर लड़े हैं. शहीद दिलवर खान के सर्वोच्च बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा. प्रदेश सरकार की ओर से शहीद के परिवार को यथासंभव सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी. यह वादा ही नहीं, हमारा कर्तव्य है.

इस दौरान स्थानीय विधायक विवेक शर्मा, भाजपा के नेता देवेंद्र कुमार भुट्टो, जिला प्रशासन की तरफ से अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्र पाल गुर्जर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव भाटिया सहित कई सैन्य अधिकारी और दिलवर खान के साथी सैनिक भी उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे और पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

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Last Updated : Jul 25, 2024, 11:04 PM IST

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