ऊना:जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लड़ते हुए अपनी मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले 28 आरआर के नायक दिलवर खान (28 वर्ष) को वीरवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. शहीद का पार्थिव शरीर दोपहर 3 बजे बंगाणा उपमंडल में उनके पैतृक गांव घरवासड़ा लाया गया. शहीद को दिलवर खान को देखते ही गांव में हर दिल गमगीन और हर आंख नम हो गई. शाहिद के पिता कर्मवीर ने जहां अपने बेटे के इस सर्वोच्च बलिदान को गौरवपूर्ण बताया, वही मां और धर्मपत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था.
जिला ऊना के दूर दराज गांव घरवासड़ा के रहने वाले वीर सैनिक दिलवर खान ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हुए वीरगति को प्राप्त किया है. जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए दिलवर खान शहीद हुए. वीरवार बाद दोपहर करीब 3 बजे उनके पार्थिव देह को पैतृक गांव घरवासड़ा लेकर आया गया. जहां सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्र के राजनीतिज्ञों और पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने भी शहीद दिलवर खान को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके इस सर्वोच्च बलिदान को देश पर ऋण बताया.
गांव वालों ने अपने वीर बेटे की अंतिम यात्रा में भारी संख्या में शामिल होकर उन्हें विदाई दी. हर आंख में आंसू थे, लेकिन दिल में गर्व भरा था. सेना के जवानों ने राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर दिया. इस दौरान नमाज-ए-जनाजा अता करके शहीद को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. पूरे वातावरण में शहीद दिलवर खान के बलिदान की गूंज थी. शहीद जवान के परिवार में उनके कृषक पिता कर्मदीन, माता भोला बीबी, धर्मपत्नी जमीला बीबी और उनका 3 साल का बेटा जुनैद, एक भाई और एक बहन है.
बता दें, वर्ष 1996 में जन्मे दिलवर महज 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए थे. उनका सपना देश की सेवा करना था और इस सपने को पूरा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति तक दे डाली. इस मौके पर शाहिद के बुजुर्ग पिता कर्मदीन जहां बेटे के बिछड़ने के गम में गमजदा नजर आए, वही दिलवर के सर्वोच्च बलिदान से गौरवांवित भी अनुभव कर रहे थे.