शिमला:हिमाचल में 06 मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति मामले में आज सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले में हाईकोर्ट में लगातार तीन दिन तक यानी 22 से 24 अप्रैल तक सुनवाई होगी. पिछली बार, मामले को लेकर हुई हियरिंग में कोर्ट ने इस मामले में जल्दी निर्णय देने की बात कही थी.
गौरतलब है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 06 विधायकों को सीपीएस नियुक्त किया था. इसके खिलाफ कल्पना नाम की एक महिला सहित विपक्षी दल भाजपा के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेस संस्था ने सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
पिछली बार हाईकोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल के लिए समय निर्धारित की थी. न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों की ओर से कुछ देर बहस सुनने के पश्चात मामले को बहस के लिए 22 अप्रैल की तारीख निर्धारित की.
ये विधायक बनाए गए सीपीएस
हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में दिसंबर 2022 को कांग्रेस की सरकार बनी थी. जिसमें कांग्रेस के 06 विधायकों को सीपीएस पद पर नियुक्ति दी गई. इसमें
- रोहडू से विधायक मोहन लाल ब्राक्टा
- कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर
- दून के राम कुमार चौधरी
- पालमपुर के आशीष बुटेल
- अर्की के संजय अवस्थी और
- बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं.
ऐसे में सीपीएस बनने के बाद इन्हें गाड़ी, दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन जैसी सुविधाएं दी जा रही है. गौरतलब है कि
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी राज्य में विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी से अधिक मंत्री की संख्या नहीं हो सकती है. वर्ष 2022 में हिमाचल विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 68 थी, इस संख्या को देखते हुए प्रदेश में अधिकतम 12 मंत्री बन सकते हैं. हालांकि प्रदेश में राज्य सभा चुनाव के दौरान हुए सियासी घटनाक्रम के बाद विधायकों को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया हैं, ऐसे में प्रदेश में वर्तमान में विधायकों की संख्या अभी 62 है.
हाईकोर्ट सुना चुका है ये आदेश
सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट जनवरी महीने में सीपीएस की ओर से मंत्रियों जैसी शक्तियों का उपयोग न करने के अंतरिम आदेश सुना चुका है. इसी मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जा चुकी है। जिसमें सरकार ने दूसरे राज्यों के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सीपीएस केस के साथ क्लब करने का आग्रह किया था. लेकिन प्रदेश सरकार के आग्रह को ठुकराते हुए इस केस को हाईकोर्ट में सुनने के आदेश दिए हैं.
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