शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने खजाने की सेहत सुधारने के लिए हाइड्रो पावर कंपनियों पर वाटर सेस लगाया था. इस सेस के जरिए सरकार ने उम्मीद लगाई थी कि उसे सालाना एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का लाभ होगा. सरकार ने वाटर सेस कमीशन का गठन किया और कंपनियों से 34.75 करोड़ रुपए सेस भी जुटा लिया, लेकिन मामला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया.
फिलहाल, मामला अदालत के विचाराधीन है, लेकिन इस बीच विधानसभा के विंटर सेशन में वाटर सेस व इस केस को लड़ रहे वकीलों की फीस से जुड़ा सवाल किया गया. सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया कि वाटर सेस के रूप में 34.75 करोड़ रुपए से अधिक की रकम मिली थी. वहीं, केस लड़ने के लिए लगाए गए वकीलों की फीस के रूप में सरकार ने अब तक 65.10 लाख रुपए चुकाए हैं. बड़ी बात ये है कि सरकार को इस मामले में एक भी रुपए का लाभ नहीं मिला है. कारण ये है कि वाटर सेस वसूलने पर अदालत की रोक है और जमा हुए वाटर सेस की रकम को लेकर अदालत ने अभी राहत दी हुई है. ये रकम कंपनियों को वापस करनी है.
विधानसभा के विंटर सेशन में जयराम ठाकुर ने इस संदर्भ में सवाल किया था. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने सवाल के जवाब में बताया है कि वाटर सेस कमीशन के पास सेस के रूप में 34.75 करोड़ रुपए से अधिक की रकम इकट्ठी हुई थी. सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वकीलों को फीस के रूप में 65.10 लाख रुपए चुकाए हैं. हाईकोर्ट में केस की सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले वकीलों को 34.10 लाख रुपए की फीस दी गई. सुप्रीम कोर्ट में ये फीस 31 लाख रुपए अदा की गई.