हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

वाटर सेस मामले में सरकार ने वकीलों की फीस पर खर्च कर दिए 65.10 लाख, सेस मिला 34.75 करोड़, लेकिन लाभ शून्य - HIMACHAL ASSEMBLY WINTER SESSION

हिमाचल विधानसभा में वाटर सेस मामले में वकीलों की फीस को लेकर सवाल उठा. सरकार ने बताया वकीलों की फीस पर 65.10 लाख खर्च हुए.

हिमाचल विधानसभा सत्र
हिमाचल विधानसभा सत्र (Himachal Assembly)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 20, 2024, 10:37 PM IST

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने खजाने की सेहत सुधारने के लिए हाइड्रो पावर कंपनियों पर वाटर सेस लगाया था. इस सेस के जरिए सरकार ने उम्मीद लगाई थी कि उसे सालाना एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का लाभ होगा. सरकार ने वाटर सेस कमीशन का गठन किया और कंपनियों से 34.75 करोड़ रुपए सेस भी जुटा लिया, लेकिन मामला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया.

फिलहाल, मामला अदालत के विचाराधीन है, लेकिन इस बीच विधानसभा के विंटर सेशन में वाटर सेस व इस केस को लड़ रहे वकीलों की फीस से जुड़ा सवाल किया गया. सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया कि वाटर सेस के रूप में 34.75 करोड़ रुपए से अधिक की रकम मिली थी. वहीं, केस लड़ने के लिए लगाए गए वकीलों की फीस के रूप में सरकार ने अब तक 65.10 लाख रुपए चुकाए हैं. बड़ी बात ये है कि सरकार को इस मामले में एक भी रुपए का लाभ नहीं मिला है. कारण ये है कि वाटर सेस वसूलने पर अदालत की रोक है और जमा हुए वाटर सेस की रकम को लेकर अदालत ने अभी राहत दी हुई है. ये रकम कंपनियों को वापस करनी है.

विधानसभा के विंटर सेशन में जयराम ठाकुर ने इस संदर्भ में सवाल किया था. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने सवाल के जवाब में बताया है कि वाटर सेस कमीशन के पास सेस के रूप में 34.75 करोड़ रुपए से अधिक की रकम इकट्ठी हुई थी. सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वकीलों को फीस के रूप में 65.10 लाख रुपए चुकाए हैं. हाईकोर्ट में केस की सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले वकीलों को 34.10 लाख रुपए की फीस दी गई. सुप्रीम कोर्ट में ये फीस 31 लाख रुपए अदा की गई.

क्या है मामला

कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद वाटर सेस के रूप में कमाई का साधन तलाशा था. सरकार ने विधानसभा में वाटर सेस बिल पारित करवाया. हिमाचल प्रदेश में 172 हाइड्रो पावर कंपनियां काम कर रही हैं, जिन पर सेस लगाया गया था. उनमें से कुछ कंपनियों ने सेस जमा करवा भी दिया था. सेस की ये रकम 34.75 करोड़ रुपए है. सरकार ने वाटर कमीशन में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अमिताभ अवस्थी को चेयरमैन बनाया था. सरकार का ये अनुमान था कि वाटर सेस से सालाना 1000 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई हो सकती है.

उधर, केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखा था कि वाटर सेस लीगल नहीं है. पंजाब व हरियाणा सरकार ने भी हिमाचल के वाटर सेस लगाने का विरोध किया था. फिर कई पावर कंपनियां वाटर सेस के खिलाफ हाईकोर्ट गई थी. बाद में मार्च 2024 में हिमाचल हाईकोर्ट ने वाटर सेस कानून को असंवैधानिक बता कर रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते में कंपनियों से वसूला सेस वापस करने को कहा था, लेकिन इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी. लिहाजा, ये पैसा सरकार के पास जमा है, लेकिन उसे इस पैसे का कोई लाभ नहीं है.

ये भी पढ़ें:हिमाचल विधानसभा में लैंड सीलिंग एक्ट संशोधन बिल पास, राधा स्वामी सत्संग ब्यास समेत अन्य धार्मिक संस्थाओं को छूट का रास्ता साफ

ABOUT THE AUTHOR

...view details