शिमला: हिमाचल में कर्मचारियों के एरियर, अनुबंध अवधि को पेंशन में गिने जाने वाले लाभ, नियमित होने के बाद से जुड़े वित्तीय लाभ, पेंशनर्स का एरियर आदि की देनदारी की एक बड़ी रकम बनती है. हाईकोर्ट के अलग-अलग आदेश के बाद खजाने पर ये बोझ आया है. पांच अदालती आदेश ऐसे हैं, जिन्होंने सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की नींद उड़ा रखी है. हाईकोर्ट ने सख्त आदेश दिए हैं कि वित्तीय लाभों की देनदारी को लेकर खाली खजाने का तर्क नहीं चलेगा. हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि हर हाल में वित्तीय लाभ देने ही होंगे.
इसके लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को भी कड़े निर्देश जारी किए गए हैं. अब ये वित्तीय लाभ देने के लिए धन की व्यवस्था कैसे हो, इसके लिए सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने सभी संबंधित विभागों की एक बैठक बुलाई है. ये बैठक आज यानी सोमवार को सचिवालय में शाम चार बजे होगी. इस बैठक में हाईकोर्ट के आदेश के बाद खजाने पर पड़ने वाले बोझ का आकलन होगा. देनदारी कैसे चुकाई जाए, इस पर मंथन होगा. बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारी, सेक्शन ऑफिसर व पांच मामलों से जुड़े विभागों के डीलिंग हैंड चर्चा करेंगे. पैसे का इंतजाम कैसे किया जाए, इस पर मंथन होगा. बाद में बैठक का सारा आउटकम मुख्य सचिव के जरिए सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा.
हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार के लिए कर्मचारियों व पेंशनर्स के वित्तीय लाभ चुकाना कठिन हो रहा है. पांच मामले ऐसे हैं, जिनमें हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यदि किसी कर्मचारी या पेंशनर्स के वित्तीय लाभ तय नियमों व कानून के तहत आते हैं तो उन्हें हर हाल में देना ही होगा. अदालत ने राज्य सरकार को अनुबंध अवधि को सेवाकाल में गिनने और उनके वित्तीय लाभ देने से जुड़े फैसले दिए हैं. सरकार के लिए चिंता की बात है कि कोर्ट ने ये रकम ब्याज सहित देने के लिए कहा है. एक मामले में तो अदालत ने छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव तक को नोटिस जारी किया है. सरकार के लिए चिंता की बात ये है कि नोटिस अवमानना से जुड़ा है.
एरियर व अनुबंध अवधि सहित सीनियोरिटी से जुड़े हैं मामले:हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों के सीनियोरिटी, अनुबंध अवधि को पेंशन के लिए गिने जाने, एरियर से लेकर नियमितिकरण की अवधि के वित्तीय लाभों से जुड़े मामले पेंडिंग हैं. सरकार के लिए चिंता ये है कि हाईकोर्ट ने दो-टूक कहा है कि सेवानिवृत कर्मचारियों के वित्तीय लाभ इंस्टॉलमेंट में नहीं दिए जा सकते. यानी सभी लाभ एकमुश्त देने होंगे. इधर, सरकार के पास खजाने में इतना पैसा नहीं है कि भारी-भरकम वित्तीय देनदारी एकमुश्त चुका सके.