शिमला:हिमाचल में सुक्खू सरकार के लिए सुख की खबर नहीं हैं. प्रदेश में डीए और एरियर को लेकर संघर्ष कर रहे कर्मचारियों और पेंशनर्स की सरकार के खिलाफ चल रही नाराजगी दूर नहीं हुई है. हालांकि, हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं परिसंघ के आंदोलन के बाद सुक्खू सरकार ने दशहरे एक दिन पूर्व कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी और पेंशन 28 अक्टूबर को खाते में डालने का ऐलान किया था. इसके साथ ही 4 फीसदी डीए की किश्त जारी करने की भी घोषणा की थी.
वहीं प्रदेश सरकार ने चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों को भी 1 जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के एरियर का 20 हजार भुगतान करने का भी भरोसा दिया था, जिसकी अधिसूचना भी सरकार ने जारी कर दी है. लेकिन रिटायर कर्मचारियों ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं परिसंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा के खिलाफ लाए गए प्रिविलेज मोशन के निर्णय से सख्त नाराज है. जिसके लिए सुक्खू सरकार को कर्मचारियों के खिलाफ पंगा न लेने की चेतावनी दी गई है. कॉरपोरेट सेक्टर रिटायरीज कॉर्डिनेशन कमेटी (सीएसआरसीसी) के राज्य अध्यक्ष ठाकुर देवीलाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार को ज्यादा हवा में नहीं रहना चाहिए, जिसने भी कर्मचारियों से पंगा लिया, उसकी सत्ता में वापसी नहीं हुई है.
सचिवालय कर्मचारियों ने किया संघर्ष तभी मिला डीए:कॉरपोरेट सेक्टर रिटायरीज कॉर्डिनेशन कमेटी के राज्य अध्यक्ष ठाकुर देवीलाल ने कहा, "सरकार ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने संघर्ष के बाद ही 4 फीसदी डीए दिया है. लेकिन जिस प्रकार से प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाया है, उसकी कड़ी शब्दों में निंदा करता हूं. ये बहुत ही शर्म की बात हैं. इस तरह की कार्रवाई इतिहास में पहली बार की गई हैं. मैं कर्मचारियों को लड़ाई को लेकर 1980 से संघर्षरत रहा हूं. फिर चाहे 1980, 1985 या फिर 1986 में कैपिटल अलाउंस को लेकर की गई हड़ताल हो, जब भी कर्मचारियों की सभाएं होती थी, उसमें सरकार के खिलाफ बहुत कुछ बोला जाता था. लेकिन पुरानी सरकारों ने कभी भी कर्मचारियों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई नहीं की. वर्तमान सरकार ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारियों के खिलाफ जो प्रिविलेज मोशन लाया हैं, तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए".