हिमाचल विधानसभा का यूट्यूब चैनल होगा शिमला: देश की पहली ई-विधानसभा हिमाचल का अपना यूट्यूब चैनल होगा. विधानसभा सचिवालय इस चैनल को डेवलप कर रहा है. हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि इस बारे में प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि यू ट्यूब चैनल शुरू करने को लेकर कुछ वित्तीय दिक्कतें पेश आ रही हैं, लेकिन उसका समाधान किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि मेघालय व ओडिशा जैसे राज्यों में विधानसभा का अपना यूट्यूब चैनल है. संचार क्रांति के इस दौर में लाइव प्रसारण की अपनी ही अहमियत है. लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही लाइव उनके चैनल पर आती है.
हिमाचल विधानसभा का यूट्यूब चैनल होगा
वैसे हिमाचल विधानसभा ने तकनीक को अपनाने में देश भर में एक मिसाल कायम की है. हिमाचल विधानसभा देश की पहली ई-विधानसभा है. मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया नए विचारों और नई तकनीक के प्रति जिज्ञासा रखते हैं. यही कारण है कि विधानसभा में पिछले 22 साल से चल रहे साउंड सिस्टम को उन्होंने अपग्रेड किया है. नया साउंड सिस्टम स्थापित किया गया है. इस पर 94 लाख रुपए की लागत आई है. अब उनका प्रयास विधानसभा की कार्यवाही को लाइव दिखाने के लिए यू ट्यूब चैनल शुरू करना है.
अभी हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए जाने वाले बजट को ही लाइव दिखाया जाता है. इसके अलावा विधायक और मंत्री विधानसभा सेशन के दौरान अपने संबोधनों की वीडियो रिकार्डिंग निकलवा कर उसे शेयर करते हैं. ये वीडियो रिकार्डिंग विधानसभा के आईटी विंग से उपलब्ध होती है. इन वीडियो रिकार्डिंग के माध्यम से विधायक व मंत्री अपने वोटर्स को ये दर्शाते हैं कि वे उनके मसलों को विधानसभा में किस तरह से उठाते हैं.
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि "सदन की कार्यवाही का लाइव प्रसारण हो सके, इसके लिए यू ट्यूब चैनल शुरू करने का प्रयास है. इस चैनल को डेवलप करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत हो चुकी है. कुछ वित्तीय दिक्कतें पेश आ रही हैं, लेकिन जल्द ही इसे शुरू करने की कोशिश की जाएगी."
देश की पहली ई-विधानसभा करती है करोड़ों की बचत
हिमाचल की विधानसभा देश की पहली ई-विधानसभा है. पूर्व में वीरभद्र सिंह के कार्यकाल के दौरान हिमाचल की विधानसभा पूरी तरह से पेपरलेस हो गई थी. अगस्त 2014 को हिमाचल विधानसभा देश की पहली ई-विधान प्रणाली वाली असेंबली बनी थी. पेपरलेस होने के कारण हर साल 15 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होती है. हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं. ई-विधान प्रणाली को स्थापित करने में 8.12 करोड़ रुपए की रकम खर्च हुई थी. यहां बजट भी पेपरलेस ही पेश किया जाता है. देश के कई राज्यों ने अपने यहां इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए हिमाचल प्रदेश से प्रशिक्षण लिया है. विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने भी ई-विधान प्रणाली का अवलोकन किया है. वर्ष 2022 में इटली सहित छह देशों के प्रतिनिधिमंडल ने इस प्रणाली का अध्ययन किया था.
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