हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

शिमला में बाल सुधार गृह बन गया था किशोरों के लिए टॉर्चर होम, हाईकोर्ट ने तलब किया रिकॉर्ड - Shimla juvenile home case

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 1, 2024, 10:55 PM IST

Shimla juvenile home case: हीरानगर स्थित बाल सुधार गृह में किशोरों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को लेकर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद अक्टूबर 2023 से दिसंबर 2023 तक का रिकॉर्ड तलब किया है. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

शिमला:राजधानी शिमला के उपनगर हीरानगर स्थित बाल सुधार गृह किशोरों के लिए टॉर्चर होम बनकर रह गया था. एक निजी संस्था ने बाल सुधार गृह में किशोरों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था.

इसके बाद हाईकोर्ट ने सख्त आदेश पारित किए थे. अदालती आदेश के बाद ही बाल सुधार गृह के अधीक्षक को बर्खास्त किया गया था. अब हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद बाल सुधार गृह का अक्टूबर 2023 से दिसंबर 2023 तक का सारा रिकॉर्ड तलब किया है.

अदालत ने जो रिकॉर्ड तलब किया है, उसमें निरीक्षण रजिस्टर, प्रबंधन रजिस्टर, व्यक्तिगत बाल देखभाल योजना और मेडिकल रिकॉर्ड शामिल हैं. अदालत ने इसके अलावा संबंधित पार्षद, बाल कल्याण अधिकारी, जिला बाल कल्याण अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी और परिवीक्षा अधिकारी से संबंधित मामले से जुड़ा रिकॉर्ड भी सुनवाई की अगली तारीख पर पेश करने के आदेश जारी किए हैं.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने यह आदेश जारी करते हुए मामले की सुनवाई 5 अगस्त को निर्धारित की है.

निजी संस्था ने लिखा था हाईकोर्ट को पत्र

हिमाचल की एक निजी संस्था उमंग फाउंडेशन के मुखिया अजय श्रीवास्तव ने बाल सुधार गृह में बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था. पत्र में बाल सुधार गृह में किशोरों से अमानवीय व्यवहार करने वाले दोषियों को उपयुक्त सजा देने की मांग की गई थी. पत्र में आरोप लगाया गया है कि यह बाल सुधार गृह की जगह किशोरों के लिए टॉर्चर गृह बन गया है.

हालांकि कम उम्र में अपराध को अंजाम देने वाले नाबालिगों को सुधारने के लिए इस बाल सुधार गृह में रखा जाता है. इसमें एक दर्जन से अधिक किशोर रखे गए हैं. पत्र में कहा गया है कि एक किशोर को इस सुधार गृह से 7 मई को रिहा किया गया था जिसने प्रार्थी संस्था के मुखिया को टेलीफोन कर सुधार गृह की भयानक कहानियों के बारे में बताया था. किशोर ने निजी संस्था से वहां रह रहे अन्य किशोरों को बचाने की प्रार्थना की.

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सोलन को भी जुबानी और लिखित शिकायत में उसने अपने साथ हुई मारपीट और यातनाओं के बारे में बताया था. उसने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य बच्चों के साथ निजी प्रतिवादी अक्सर मारपीट किया करते थे. उन्हें धमकियां देते थे एक बार तो उसे इतना पीटा गया कि उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा.

दो पीडि़त किशोरों ने तो महिला एवं बाल विकास विभाग जिला शिमला के प्रोग्राम अधिकारी से शिकायत की थी परंतु आरोपी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. दो किशोरों ने तंग आकर अपनी हाथों को नसें काटकर आत्महत्या करने का प्रयास भी किया था.

आरोप है कि किशोरों से दुर्व्यवहार अक्सर अधीक्षक के कक्ष में या ऐसे स्थान पर होता है जहां सीसीटीवी कैमरे की नजर न पड़े. कभी-कभी तो कैमरे बंद भी कर दिए जाते हैं. आरोप है कि किशोरों को पर्याप्त भोजन भी नहीं दिया जाता.

पत्र में रिहा किए गए किशोर द्वारा बताई कहानी के अनुसार अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि डीआईजी और जज से दोस्ती की धमकियां देते हुए किशोरों को अधीक्षक पीटता था साथ ही धमकी देता था कि उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. प्रार्थी ने बाल सुधार गृह हीरा नगर के किशोरों को उत्पीड़न से बचाने और दोषियों को दंडित करने की गुहार लगाई है. कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद अधीक्षक कौशल गुलेरिया को बर्खास्त कर दिया गया था. मामले की सुनवाई अब 5 अगस्त को तय की गई है.

ये भी पढ़ें:"लोगों की जान बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता, आपदा के हालातों से निपटना बड़ी चुनौती", सीएम सुक्खू से ETV भारत की खास बातचीत

ABOUT THE AUTHOR

...view details