प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप पर बिना जांच किए उसे बर्खास्त कर देने का मामला पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश को संदर्भित कर दिया है. कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को स्वयं देखें और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कराएं. अदालत ने पूर्व के आदेश का पालन करते हुए मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने पर पुलिस कमिश्नर नोएडा के रवैया की निंदा की है. कोर्ट ने मामले की जांच कर रहे असिस्टेंट कमिश्नर पुलिस रामकृष्ण तिवारी और कांस्टेबल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले सीनियर इंस्पेक्टर चंद्र प्रकाश शर्मा के जवाबों को असंतोषजनक बताया. दोनों आधिकारी अदालत में उपस्थित थे मगर जांच को लेकर संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके. कोर्ट ने आरोपी कांस्टेबल अंकित बालियान अंतरिम अग्रिम ज़मानत मंज़ूर कर ली है.
अंकित बालियान की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है. रबूपुरा थाने में कांस्टेबल पद पर तैनात अंकित बालियान के खिलाफ 7 सितंबर 2023 को एक व्हाट्सएप वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें आरोप है कि उसने वसीम कबाड़ी से एक लाख रुपए रिश्वत मांगी तथा एक अन्य वीडियो में वह हर माह 25000 और एक लाख रुपए अलग से देने की मांग कर रहा है. इस वीडियो के आधार पर सीनियर इंस्पेक्टर थाना बीटा टू चंद्र प्रकाश शर्मा ने अंकित बालियान के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. उसी दिन उसे पुलिस कमिश्नर ने बर्खास्त भी कर दिया. मुकदमे में गिरफ्तारी पर रोक के लिए अंकित बालियान ने जिला जज के यहां अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जित दाख़िल की.
याची के अधिवक्ता का कहना था कि बिना किसी जांच और साक्ष्य के उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया. प्राथमिक में यह नहीं बताया गया है कि किसी अधिकारी के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया. अधिवक्ता का कहना था कि व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्ड नहीं की जा सकती है. फिर यह वीडियो किस सोर्स से आया इसका भी पता नहीं लगाया गया. कारण बताओं नोटिस जारी किए बिना सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दे दिया गया. जबकि कथित शिकायतकर्ता वसीम कबाड़ी ने 25 अक्टूबर 2023 को अपर जिला जज नोएडा की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया की ऐसी कोई घटना नहीं हुई है और पूरी कहानी मनगढ़ंत है. उसने अपने प्रार्थना पत्र में यह भी कहा कि वह अंकित बालियान को जानता ही नहीं है. अधिवक्ता का कहना था कि हाई कोर्ट के 26 फरवरी के आदेश के बाद पुलिस ने शिकायतकर्ता पर दबाव बना कर उसका बयान दर्ज़ किया.