नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने महरौली के ध्वस्त हो चुके छह सौ साल पुराने अखूंदजी मस्जिद में रमजान और ईद के मौके पर नमाज पढ़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नमाज पढ़ने की इजाजत देने से इनकार किया. याचिका इंतजामिया कमेटी मदरसा बहरुल उलूम और कब्रिस्तान ने दायर की थी.
याचिका में कहा गया था कि ईद के साथ ही रमजान का महीना खत्म हो जाएगा इसलिए नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए. तब कोर्ट ने कहा कि डिविजन बेंच फिलहाल कोई भी अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकता है.
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याचिका सिंगल बेंच के उस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी जिसमें सिंगल बेंच ने शब-ए-बारात के मौके पर नमाज पढ़ने और बेरोकटोक कब्रगाह जाने की इजाजत देने की मांग को खारिज कर दिया था. जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव ने कहा था कि मस्जिद फिलहाल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के कब्जे में है और मामले से संबंधित मुख्य मामला हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट में मुख्य मामले की सुनवाई 7 मई को होने वाली है, ऐसे में इस याचिका पर कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता है.
बता दें कि मुख्य मामले में सुनवाई के दौरान 2 फरवरी को कोर्ट ने डीडीए से पूछा था कि क्या उसने महरौली की छह सौ साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद को ध्वस्त करने के पहले कोई वैध नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान डीडीए की ओर से पेश वकील संजय कात्याल ने कहा था कि मस्जिद को ध्वस्त करने की अनुशंसा धार्मिक कमेटी ने 4 जनवरी को की थी. इसी अनुशंसा के आधार पर मस्जिद को ध्वस्त किया गया.
कात्याल ने कहा था कि 4 जनवरी के पहले धार्मिक कमेटी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को इस मामले पर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था. इस पर शम्स ख्वाजा ने कहा कि धार्मिक कमेटी को मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है. तब कोर्ट ने डीडीए से पूछा कि आप ये बताएं कि मस्जिद को गिराने से पहले क्या कोई वैध नोटिस जारी किया गया था.
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