पंचकूला:हरियाणा सरकार द्वारा गुरुग्राम को मिलेनियम सिटी प्रचारित करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है. हाईकोर्ट ने गुरुग्राम में कूड़ा डंपिंग संबंधी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से डंप उठाने संबंधी जानकारी मांगी थी, लेकिन अप्रासंगिक जानकारी देने व कोर्ट को भ्रमित करने के प्रयास पर हाइकोर्ट ने नगर निगम पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने कहा कि कोर्ट दायर याचिका को एक प्रतिकूल मुकदमे के रूप में नहीं देखता बल्कि इसे एक मानवीय समस्या मानता है. जबकि गुरुग्राम को मिलेनियम सिटी के रूप में प्रचारित किया जा रहा है.
आंकड़ों की बाजीगरी की: हाईकोर्ट ने कहा कि संयुक्त आयुक्त और नगर निगम द्वारा दिए विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से शहर में उत्पन्न कचरा और ठोस अपशिष्ट को समय पर हटाने की दिशा में उनके द्वारा किए गए कथित कार्यों के बारे में केवल अपनी पीठ थपथपाने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी की गई है. हाईकोर्ट ने कहा कि निगम द्वारा प्रस्तुत जवाब में कचरा/ठोस अपशिष्ट के निपटान के लिए उपलब्ध जनशक्ति के साथ मशीनरी पर भी जोर दिया गया है. इसमें करीब 470 वाहन, उनके पंजीकरण नंबर और उन कर्मचारियों के नाम शामिल हैं, जो उक्त वाहनों पर कार्यरत हैं.
शहर का कचरा हटाने की नहीं दी जानकारी:दायर याचिका के अनुसार निगम द्वारा गुरुग्राम शहर में फैले कचरे को हटाने की जानकारी नहीं दी गई है. कचरे का निपटान नहीं होने से गुरुग्राम के लोगों को बीमारियों के बढ़ते खतरे का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा नगर निगम से शहर की सफाई व्यवस्था और कूड़ा उठाने की स्थिति बारे जानकारी मांगी गई थी. कोर्ट ने कहा कि आवासीय, व्यावसायिक और संस्थागत कचरे के साथ मासिक निर्माण और विध्वंस कचरा, जैविक अपशिष्ट आदि सहित प्रति व्यक्ति मासिक कूड़े की कुल मात्रा बारे विशिष्ट जानकारी मांगी गई थी, लेकिन निगम ने कोर्ट में गैर जरूरी दस्तावेज देकर अपेक्षित जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया.
स्वच्छता का उचित ध्यान रखने के निर्देश:कोर्ट ने नगर निगम को आवश्यक कार्रवाई शीघ्रता से करने का समय दिया था, लेकिन निगम के अधिकारियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि कानून नागरिक निकायों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि सड़कों पर कचरा जमा नहीं हो और उचित तरीके से स्वच्छता बनाई रखा जाए.
स्थानीय आयुक्त के रूप में 9 वकीलों की नियुक्ति:हाईकोर्ट ने स्थानीय आयुक्त के रूप में नौ वकीलों को नियुक्त किया है. यह सभी वकील उल्लिखित विशिष्ट क्षेत्रों का दौरा कर नगर निगम गुरुग्राम के विभिन्न क्षेत्रों में कचरा संग्रहण और डंप संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे. वकीलों द्वारा देखा जायेगा कि कचरा हटाने का काम नियमित व शीघ्रता और कुशलता से किया जा रहा है या नहीं. कोर्ट ने मामले की आगामी सुनवाई के लिए 17 फरवरी 2025 की तिथि निर्धारित की है.