रांचीः झारखंड में नगर निकाय चुनाव पहेली बनकर रह गई है. हाईकोर्ट के कड़े निर्देश के बाद सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के लिए कुछ कदम बढ़ाए जरूर हैं मगर जिस गति से सरकारी सिस्टम में काम हो रहा है उससे साफ लगता है कि फिलहाल चुनाव होना संभव नहीं है.
हालांकि झारखंड सरकार के उदासीन रवैया पर बीते सोमवार को जिस तरह से अवमाननावाद की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है उससे लग रहा है कि शहर की सरकार बनने में अनावश्यक देरी नहीं होगी. अधिवक्ता विनोद कुमार की मानें तो हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए न केवल फटकार लगाई है बल्कि मुख्य सचिव को आगामी 16 जनवरी को उपस्थित होने को कहा है.
नगर निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य में कोर्ट के आदेश के बाद भी चुनाव नहीं कराए जाने पर नाराजगी जताते हुए अवमानना चलाने की बात कही. इसपर राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट जारी रहने की बात कही है. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद चुनाव नहीं कराने का आरोप लगाया है.
याचिकाकर्ता रोशनी खलखो ने सरकार के कामकाज पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि जब हाईकोर्ट के आदेश को भी सरकार नहीं मान रही है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि निकाय चुनाव कराने के प्रति सरकार कितना गंभीर है. उन्होंने कहा कि शहर की जनता से वर्तमान सरकार को कोई सरोकार नहीं है. जनता पानी, सड़क, बिजली और नाली जैसी समस्याओ से जूझ रही है. अगर निकाय चुनाव को लेकर सरकार की मंशा साफ होती तो इस तरह को टाल मटोल रवैया नहीं अपनाई जाती.