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अब ब्लड टेस्ट का झंझट नहीं, यूरिन से ही हो जाएगी खून में थक्का बनने की जांच, 5 मिनट में रिपोर्ट - Blood Clotting Test

दिल के मरीजों की निगरानी के लिए खून में थक्का बनने की जांच समय-समय पर कराई जाती है. इससे यह पता चलता है कि मरीज का खून गाढ़ा है या पतला. लेकिन, अब यही जांच पेशाब के सैंपल से भी संभव है.

पीजीआई में यूरिन से ब्लड में थक्के बनने की जांच शुरू.
पीजीआई में यूरिन से ब्लड में थक्के बनने की जांच शुरू. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 3:55 PM IST

लखनऊ :दिल के मरीजों की निगरानी के लिए खून में थक्का बनने की जांच समय-समय पर कराई जाती है. इससे यह पता चलता है कि मरीज का खून गाढ़ा है या पतला. लेकिन, अब यही जांच पेशाब के सैंपल से भी संभव है. खास बात यह कि सिर्फ 5 से 10 मिनट में इसकी रिपोर्ट मिल जाती है. यह तथ्य PGI के हृदय रोग के डॉक्टरों और CBMR (सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च) के शोध में सामने आए हैं. यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की ओर से प्रकाशित जर्नल ऑफ प्रोटियम रिसर्च में शामिल हुआ है.

पीजीआई में पेशाब के सैंपल से जांच शुरू:पीजीआई में में यूरिन के सैंपल से ब्लड में थक्का बनने की जांच भी शुरू हो चुकी है. इसके लिए प्रॉथोम्बिन फ्रैगमेंट 1+2 (प्रॉथोम्बिन प्रोटीन का एक सेगमेंट होता है, जो यूरीन में उपलब्ध रहता है) की जांच हो सकेगी. इससे महज 5 से 10 मिनट में रिपोर्ट आ जाएगी. यह पता चल जाएगा कि मरीज का खून पतला है या गाढ़ा. पीजीआई में वॉल्व के ऑपरेशन के दौरान अब पेशाब के नमूने से जांच शुरू भी हो चुकी है. इसके लिए लैब भी बनाई जा चुकी है.

दोनों जांच रिपोर्ट एक समान आईं :मरीज के शरीर में पीटी (प्रॉथोम्बिन प्रोटीन) का स्तर बढ़ा होने से खून गाढ़ा हो जाता है, जो हार्टअटैक की आशंका को बढ़ाता है. पीटीआईएनआर जांच के लिए अब बार-बार खून निकलवाने की जरूरत नहीं है. पेशाब से भी इसकी जांच हो सकेगी. पीजीआई के शोध में साबित हुआ है कि दोनों तरह से हुई जांच की रिपोर्ट एक समान आती है.

तीन साल चला शोध :पीजीआई के सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च डॉ. आशीष ने बताया कि यह शोध तीन साल तक 205 मरीजों पर चला. इसमें 101 लोग पूरी तरह से स्वस्थ और 104 दिल के मरीज शामिल किए गए. इन लोगों पर सिनोकॉमराल या एंटी कॉगलेंट ड्रग का इस्तेमाल किया गया. तब पाया गया कि प्रोथॉम्बिन फैगमेंट 1+2 की जांच से ही थक्का जमने की सटीक जानकारी प्राप्त हो रही है.

खून की जांच रिपोर्ट आने में लगते हैं 10 से 12 घंटे:खून के थक्का जमने के लिए पीटीआईएनआर जांच की जाती है. इससे पता चलता है कि मरीज का खून कितना पतला व गाढ़ा है. उसी आधार पर मरीज का ऑपरेशन किया जाता है. शोध करने वाले सीबीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया कि वॉल्व रिप्लेसमेंट करने के लिए खून पतला रखना होता है, इसके लिए असिनोकॉमराल या एंटी कॉगलेंट ड्रग दी जाती है. खून की जांच रिपोर्ट आने में 10 से 12 घंटे लगते हैं.

शोध में यह रहे शामिल:इस शोध के लिए डॉ. आशीष गुप्ता को 2021 में इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से विशिष्ट रिसर्च ग्रांट से सम्मानित किया गया था. यह शोध अगस्त 2024 में प्रकाशित हुआ है. शोध करने में सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुम्रा, पीजीआई के कॉर्डियोवैस्कुलर थोरेसिक सर्जरी विभाग के डॉ. शांतनु पांडेय, इम्यूनोलॉजी के डॉ. विकास, डॉ. दीपक, डॉ. निहारिका भारती और हाल ही में कैंसर से जिंदगी की जंग से हार चुके पीजीआई के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप कुमार भी शामिल रहे.

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