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संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ पर HC ने फैसला रखा सुरक्षित, कपिल सिब्बल बोले- भाजपा बना रही राजनीतिक मुद्दा, तुषार मेहता ने डाटा का दिया हवाला - Jharkhand High Court

Hearing of Bangladeshi infiltration case. संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले की झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

JHARKHAND HIGH COURT
झारखंड हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 20, 2024, 1:08 PM IST

रांचीः संथाल में बांग्लादेशी घसुपैठ की वजह से आदिवासियों की घटती आबादी और डेमोग्राफी में बदलाव से जुड़ी दानयल दानिश की जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखा. फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को लेकर दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंडपीठ को बताया कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन को लेकर राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव की 30 सितंबर को एक मीटिंग होनी है. इसमें घुसपैठियों को कैसे चिन्हित किया जाए, इसपर मंथन होगा. वहीं राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह जनहित याचिका है ही नहीं. यह भाजपा का एक राजनीतिक स्टैंड है. भाजपा के सारे नेता इसको मुद्दा बना रहे हैं. इसलिए जनहित याचिका के जरिए कोर्ट में मामला लाया गया है.

जानकारी देते अधिवक्ता धीरज कुमार (ईटीवी भारत)

उन्होंने कहा कि घुसपैठ को लेकर किसी तरह का डाटा भी नहीं पेश हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है. इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जनगणना को आधार बनाकर डाटा दिया जा चुका है. दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
दरअसल, 12 सितंबर 2024 को सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कमेटी के गठन को लेकर किसी तरह का सुझाव नहीं आया था. इसपर सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से दोबारा सुझाव मांगा गया था. 17 सितंबर 2024 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पांच जिलों के उपायुक्तों ने घुसपैठ से इनकार किया है जबकि साहिबगंज के डीसी ने दो घुसपैठ की बात स्वीकार की है. केंद्र सरकार की ओर कहा गया था कि घुसपैठ हुई है और पहचान कर कार्रवाई करने की जरूरत है. वहीं राज्य सरकार का कहना था कि बांग्लादेशी घुसपैठ पश्चिम बंगाल के अलावा दूसरे राज्यों से होते हुए झारखंड में होने की बात है, इसलिए इसपर केंद्र सरकार से राय मशविरा करना जरुरी है.

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