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फतुहा CDPO पर HC ने लगाया 5 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है वजह - PATNA HIGH COURT

पटना हाईकोर्ट ने एएनएम सीता कुमारी के खिलाफ वसूली आदेश जारी करने के लिए जिम्मेदार सीडीपीओ पर 5 लाख का व्यक्तिगत जुर्माना लगाया है.

पटना हाईकोर्ट की प्रतीकात्मक तस्वीर
पटना हाईकोर्ट की प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 15, 2024, 7:48 PM IST

पटना: निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को अनुचित वित्तीय वसूली से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय में पटना हाईकोर्ट ने ऐसे कर्मचारियों से अतिरिक्त वेतन भुगतान की वसूली को असंवैधानिक घोषित किया. पटना हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग में एएनएम सीता कुमारी के खिलाफ वसूली आदेश जारी करने के लिए जिम्मेदार बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पर 5 लाख का व्यक्तिगत जुर्माना लगाया.

CDPO पर 5 लाख का जुर्माना:अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सेवा के निचले स्तर के कर्मचारी अपनी पूरी कमाई अपने परिवार के भरण-पोषण और कल्याण में खर्च करते हैं. यदि उनसे इस तरह का अतिरिक्त भुगतान वसूलने की अनुमति दी जाती है, तो इससे नियोक्ता को मिलने वाले किसी भी पारस्परिक लाभ से अधिक उन पर अनुचित बोझ पड़ेगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को परेशान करने और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का पालन न करना और कोर्ट पर अतिरिक्त बोझ डाले जाने के लिए सीडीपीओ, दनियावा (फतुहा) पर व्यक्तिगत रूप से भुगतान किए जाने वाले 5 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया.

कोर्ट ने वसूली को बताया मनमानी: कोर्ट ने कहा कि हम इस निष्कर्ष पर संतुष्ट हैं कि सेवा के निचले पायदान (यानी वर्ग-III और वर्ग-IV- जिन्हें कभी-कभी समूह 'सी' और समूह 'डी' के रूप में भी जाना जाता है) से संबंधित कर्मचारियों से ऐसी वसूली किसी भी तरह की वसूली के अधीन नहीं होनी चाहिए. भले ही वे अपने देय वेतन से अधिक वेतन पाने के लाभार्थी हों.ऐसी वसूली अन्यायपूर्ण और मनमानी होगी.

कोर्ट ने महालेखाकार को लगाई फटकार:कोर्ट ने यह भी पाया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) द्वारा जानबूझकर वसूली की गई कार्रवाई विधिसम्मत नहीं थी. वसूली का वही क्रम उसे सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना शुरू किया गया. जिससे वसूली का ऐसा आदेश पारित किया जा सके. कोर्ट ने महालेखाकार (लेखा परीक्षा) द्वारा दिए गए भ्रामक बयान की भी आलोचना की. जिसमें कहा गया कि वेतन और भत्तों की वसूली लेखा परीक्षा द्वारा सुझाई नहीं गई.

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