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चुनाव लड़ने वाले नेताओं के लिए कठिन दौर शुरु, नतीजे आने तक बरतें विशेष सावधानी, मनोचिकित्सक के सुझाव का रखें ख्याल - Lok Sabha election 2024

Health and Psychiatrists advice to politicians. लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हो चुका है. अब 4 जून को चुनाव के नतीजे आएंगे. ऐसे में रिजल्ट आने तक राजनेता विशेष सावधानी बरतें और मनोचिकित्सक के सुझाव का ख्याल रखें. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा से बात की.

Health and Psychiatrists advice to politicians contesting Lok Sabha election 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 1, 2024, 8:50 PM IST

Updated : Jun 2, 2024, 1:03 PM IST

रांचीः 18वीं लोकसभा के लिए वोटिंग का कार्य पूरा हो चुका है. इसमें झारखंड की 14 सीटें भी शामिल हैं. जीत की दावेदारी के बाद अब बारी है नतीजों की. 1 जून को अंतिम फेज का चुनाव संपन्न होते ही रिजल्ट का काउंट डाउन शुरु हो चुका है.

4 जून को अनुमान और संभावनाओं के बादल छंट जाएंगे. तब कहीं डंका बजेगा, कहीं मिठाईयां बटेंगी तो कहीं मायूसी भी दिखेगी. लिहाजा, रिजल्ट आने तक बेचैनी बढ़नी तय है. खासकर उन प्रत्याशियों में जो जीत की आस लगाए बैठे हैं. क्योंकि यह एक स्वभाविक प्रक्रिया है. लेकिन कोरोना काल के बाद हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामलों को देखते हुए वैसे प्रत्याशियों को विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है.

इसकी वजह भी है. दरअसल, ज्यादातर प्रत्याशी की उम्र 50 साल से ज्यादा है. किसी को शुगर की बीमारी है तो कई नेता ऐसे हैं जो बीपी के मरीज हैं. राजनीति को बारीकी से समझने वाले ज्यादातर एक्सपर्ट इस बात की संभावना जता चुके हैं कि इस बार झारखंड की सभी 14 सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन की सीधी टक्कर हुई है. यही वजह है कि जीत के दावे दोनों ओर से हो रहे हैं. जानकार भी अंदेशा जता चुके हैं कि ज्यादातर सीटों पर जीत और हार का अंतर बेहद कम वोट से देखने को मिल सकता है. ऐसी परिस्थिति शरीर पर एक प्रेशर क्रिएट करती है. लिहाजा, वैसे प्रत्याशियों को किन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. इन सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा से बात की.

अगर ऐसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर से करें संपर्क

मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा का कहना है कि जीत तो 14 प्रत्याशी की ही होनी है लेकिन उम्मीद 28 प्रत्याशियों की होगी. ऐसे में एक भी निगेटिव सोच आती है तो घबराहट उत्पन्न करती है. जिसको छुपाया जाता है. रिजल्ट आने तक जीत की रेस में शामिल हर प्रत्याशी विक्ट्री साइन दिखाता है. लेकिन मन में कुछ और चल रहा होता है. ऐसे में नींद पर असर पड़ता है, घबराहट होती है. ऊपर से एक्जिट पोल जब आपके फेवर में नहीं दिखता है तो सोचने की शक्ति प्रभावित होती है. यह एक नशे के दौर जैसा है.

ऐसे समय में पैनिक क्रिएट होने की संभावना बनी रहती है. सबसे बड़ा लक्षण है घबराहट. दूसरा लक्षण है नींद का ना आना. जो नशापान करते हैं, उसकी मात्रा बढ़ जाती है. भविष्य को लेकर अगर निगेटिव सोच उत्पन्न होती है तो शरीर और मस्तिष्क पर कई तरह के नाकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं. अगर किसी को पहले से किसी तरह की बीमारी है तो उसमें उतार चढ़ाव दिखने लगेगा. अगर आपको ज्यादा घबराहट महसूस हो या चक्कर आए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.

मानसिक और शारीरिक दबाव से बचने के उपाए

मनोचित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा का सुझाव है कि ऐसे समय में धैर्य से काम लेना होगा. खुद को समझाना होगा कि जीत तो किसी एक ही होगी. इसलिए परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताएं. भविष्य को लेकर ज्यादा चिंता ना करें. यह मानकर चलें कि ऐसा तो होता रहेगा. मेडिटेशन करें. सत्य को हमेशा अपने साथ रखें. यह मानकर चलें कि अगर हार गये तो आगे की तैयारी कैसे करनी है. हार के डर से भावनाओं में ना बहकें. कोई भी फैसला लेने से पहले मंथन करें. काउंटिंग के दिन हर चरण में वोट प्रतिशत का उतार चढ़ाव भी बहुत प्रभाव डालता है. गर्मी के मौसम का ख्याल रखते हुए दिनचर्या तय करें. जीत और हार को सहजता से स्वीकार करें. सबसे बड़ा उपाय है खुद को मानसिक रुप से मजबूत बनाए रखना. स्ट्रेस को हावी न होने दें.

झारखंड की 14 सीटों का लेखा-जोखा

मनोचिकित्सक के इस सुझाव को इसलिए ध्यान में रखना जरुरी है क्योंकि झारखंड की सभी 14 सीटों के लिए कुल 244 प्रत्याशियों की भाग्य का फैसला होना है. इनमें 31 महिला प्रत्याशी के अलावा एक ट्रांसजेंटर भी मैदान में हैं. नतीजा आने तक सभी को सब्र रखना होगा. लोकसभावार प्रत्याशियों की बात करें तो धनबाद में सबसे ज्यादा 31 प्रत्याशी मैदान में हैं. दूसरे नंबर पर रांची है, जहां 28 प्रत्याशी हैं. इसके अलावा खूंटा में 14, लोहरदगा में 09, सिंहभूम में 12, पलामू में 13, दुमका में 14, राजमहल में 11, गोड्डा में 16, हजारीबाग में 20, कोडरमा में 20, चतरा में 22, गिरिडीह में 17 और जमशेदपुर में 25 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. इन प्रत्याशियों की किस्मत तय करने की ताकत 2 करोड़ 53 लाख 86 हजार 152 वोटर्स में हैं. इनमें पुरुष वोटर की संख्या 1 करोड़ 29 लाख 37 हजार 458 और महिला वोटर की संख्या 1 करोड़ 24 लाख 48 हजार 225 है. वहीं 469 थर्ड जेंडर वोटर भी हैं.

किस सीट पर किसके बीच है मुकाबला

झारखंड की 14 सीटों में से 5 सीटें अनुसूचित जनजाति, एक सीट अनुसूचित जाति और शेष आठ सीटें अनारक्षित हैं. राजमहल में झामुमो के विजय हांसदा और भाजपा के ताला मरांडी के बीच मुकाबला है. यहां झामुमो के बागी विधायक लोबिन हेंब्रम भी मैदान हैं. दुमका में शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भाजपा की टिकट पर मैदान में हैं. उनका सामना झामुमो के दिग्गज नेता और सात बार से शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन से है. गोड्डा में सीधा मुकाबला भाजपा के निशिकांत दूबे और कांग्रेस के प्रदीप यादव के बीच है. धनबाद में बाघमारा से भाजपा विधायक ढुल्लू महतो के सामने कांग्रेस की टिकट पर पहली बार मैदान में उतरीं दिवंगत राजेंद्र सिंह की बहू अनुपमा सिंह हैं. गिरिडीह में भाजपा के समर्थन में आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी का सामना झामुमो के विधायक मथुरा महतो से है.

कोडरमा में राजद की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकीं भाजपा प्रत्याशी सह केंद्र में मंत्री अन्नपूर्णा देवी की लड़ाई भाकपा माले के विनोद कुमार सिंह से है. विनोद को इंडिया गठबंधन का समर्थन है. पलामू में भाजपा के बीडी राम हैट्रिक की फिराक में हैं. उनका सामना पहली बार मैदान में राजद की टिकट पर उतरी ममता भुइयां से हैं. चतरा में भी समीकरण बदला हुआ है. यहां भाजपा ने सुनील सिंह का टिकट काटकर कालीचरण सिंह पर भरोसा जताया है. उनका सामना कांग्रेस के विधायक रहे केएन त्रिपाठी से है. लोहरदगा में भी भाजपा ने सीटिंग सांसद सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव पर दाव लगाया है. समीर का सामना कांग्रेस के सुखदेव भगत से है. यहां झामुमो के बागी विधायक चमरा लिंडा ने चुनाव को रोचक बना दिया है. खूंटी में केंद्रीय मंत्री सह भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा का सामना उसी कांग्रेसी प्रत्याशी कालीचरण सिंह मुंडा से है, जिन्हें उन्होंने महज 14सौ वोट के अंतर से हराया था.

सिंहभूम में 2019 में कांग्रेस को जीत दिलाने वाली गीता कोड़ा इसबार भाजपा प्रत्याशी हैं. उनकी लड़ाई हेमंत सरकार में मंत्री रहीं झामुमो की जोबा मांझी से है. जमशेदपुर में भाजपा के विद्युत वरण महतो का सामना झामुमो के विधायक समीर मोहंती से है. हजारीबाग में भी बदले समीकरण में चुनाव हुआ है. भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद जयंत सिन्हा की जगह स्थानीय विधायक मनीष जायसवाल पर दांव लगाया है. जबकि झामुमो से भाजपा में रहे जेपी पटेल कांग्रेस प्रत्याशी के दौर पर यहां मैदान में हैं. रांची सीट पर भी रोचक मुकाबला हुआ है. भाजपा के सीटिंग सांसद संजय सेठ के सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय हैं. इस सीट पर जीत के लिए पीएम मोदी के साथ-साथ गृह मंत्री अमित शाह तक रोड शो कर चुके हैं. वहीं यशस्विनी के लिए प्रियंका गांधी वोट मांग चुकी हैं.

सबसे अच्छी बात यह है कि झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव कार्य शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो चुका है. देह झुलसाती गर्मी की परवाह किए बगैर चुनाव आयोग के अधिकारियों, मतदानकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों ने लोकतंत्र के महापर्व के इस पहले पड़ाव को पूरा करा लिया है. इस दौरान वोटरों का भी उत्साह दिखा. अब बारी है नतीजों की. काउंट डाउन शुरु हो चुका है. 4 जून को ईवीएम से गिनती शुरु होते ही अनुमान और संभावनाओं के बादल छंट जाएंगे. तबतक सभी प्रत्याशियों को मनोचिकित्सक के सुझाव को ध्यान में रखना चाहिए. क्योंकि जान है तभी जहान है.

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Last Updated : Jun 2, 2024, 1:03 PM IST

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