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हजारीबाग मत्स्य विभाग सुर्खियों में, जिला मत्स्य पदाधिकारी ने आरटीआई एक्टिविस्ट पर लगाए गंभीर आरोप, थाने तक पहुंचा मामला

हजारीबाग के एक आरटीआई एक्टिविस्ट पर जिला मत्स्य पदाधिकारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. मामला थाने के बाद कोर्ट तक जा पहुंचा है.

Hazaribag Fisheries Department
हजारीबाग के जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार. (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 3, 2024, 6:55 PM IST

हजारीबागः जिला मत्स्य विभाग इन दिनों सुर्खियों में है. जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रदीप कुमार ने राजेश मिश्रा पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाया है. मत्स्य पदाधिकारी का आरोप है कि जब उन्होंने पैसा देने से इनकार कर दिया तो राजेश मिश्रा ने उनकी छवि धूमिल करते हुए सोशल मीडिया पर कई तरह की आपत्तिजनक पोस्ट किए हैं.

बता दें कि राजेश मिश्रा ने आरटीआई के जरिए मत्स्य विभाग से जानकारी मांगी है. मत्स्य पदाधिकारी ने कहा कि जो जानकारी मांगी है वह उन्हें दी जाएगी, क्योंकि सारे दस्तावेज सरकारी हैं. लेकिन जिस तरह से उन्होंने सोशल मीडिया में छवि धूमिल करने की कोशिश की है यह सरासर गलत है. इसे लेकर जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने साइबर थाना में आवेदन दिया है. साथ ही उन्होंने अपने वकील के जरिए राजेश मिश्रा को लीगल नोटिस भी भेजा है. जिला मत्स्य पदाधिकारी ने कहा कि जवाब नहीं देने पर यह मामला कोर्ट में रखा गया है. राजेश मिश्रा पर सुसंगत धारा के तहत केस करने को लेकर आवेदन दिया गया है.

बयान देते हजारीबाग के जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

बता दें कि आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने मत्स्य विभाग से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. विभाग ने उन्हें पत्राचार कहकर बताया था कि जो जानकारी मांगी गई है वह लगभग 18000 पन्नों का है. इस कारण 36000 रुपये जमा करें. इसे लेकर राजेश मिश्रा ने लगभग 26000 रुपये के सिक्के और शेष 500 रुपये के नोट जमा किए थे. यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था.

मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार का आरोप है कि आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने उनका मानसिक शोषण करते हुए पैसे की मांग की थी. जब उन्हें पैसा नहीं दिया गया तो उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट किया गया. वहीं उन्होंने कहा कि राजेश मिश्रा ने आरटीआई के तहत जो जानकारी मांगी थी, ठीक इसी तरह की जानकारी एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट ने भी मांगी है. इस बात से यह प्रतीत होता है कि गलत उद्देश्य से जानकारी मांगी गई है.

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