लखनऊ: जुलाई में हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ के दौरान हुई 122 लोगों की मौत के मामले में गुरुवार को नाराय हरि भोले बाबा न्यायिक आयोग के सामने पेश हुए. लखनऊ के हजरतगंज स्थित सचिवालय में भोले बाबा को कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायिक आयोग के सामने पुलिस ने पेश किया. हालांकि इस मामले में पुलिस भोले बाबा को क्लीन चिट दे चुकी है. वहीं अब न्यायिक आयोग इस पूरे मामले की जांच कर रहा है.
दो जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ में भोलेबाबा के सतसंग कार्यक्रम के बाद भगदड़ मच गई थी, जिसमें 122 लोगों की मौत हुई थी. मामले में सिकंदराराऊ थाने में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्य मिटाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
इसमें देव प्रकाश मधुकर मुख्य आरोपी बनाया गया था. हादसे के बाद योगी सरकार ने फौरी तौर पर हादसे की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी. इसमें कमिश्नर अलीगढ़ और एडीजी आगरा जोन सदस्य थे. हालांकि बाद में न्यायिक आयोग का भी गठन किया गया था.
एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ ने माना था कि सिकंदराराऊ में हुए भोलेबाबा के सत्संग में अनुमान से भी अधिक भीड़ आई थी. ये भीड़ भोले बाबा को देखने के लिए अनियंत्रित तरीके से आगे बढ़ी और फिर भगदड़ मच गई.