नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ घृणास्पद और भड़काऊ कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर प्रसारित करने से रोकने के लिए याचिकाकर्ता को फेसबुक के शिकायत निवारण तंत्र से संपर्क करने को कहा. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि फेसबुक के पास प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र मौजूद है, ऐसे में अलग से कोई दिशानिर्देश जारी करने की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब किसी कानून में शिकायत के निपटारे की मशीनरी हो तब संविधान की धारा 226 के तहत हाईकोर्ट का क्षेत्राधिकार का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
कोर्ट ने कहा कि याचिका में भी ऐसा कोई आरोप नहीं है कि फेसबुक ने आईटी रुल्स का पालन नहीं किया है. ऐसे में फेसबुक को कोई दिशानिर्देश नहीं दिया जा सकता है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि ये सच है कि सोशल मीडिया पर काफी अपशब्द कहे जा रहे हैं लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से सुझाया गया उपाय काफी ज्यादा हो सकता है. कोर्ट ने इस बात की आशंका जताई थी कि अगर याचिका में सरकार को प्रकाशन से पूर्व सेंसरशिप शक्ति प्रदान करने की मांग मंजूर की जाती हैं तो ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक हो सकती है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ये शक्ति पसंद आएगा.