आखिर क्यों लोकसभा चुनाव में हसदेव अरण्य का मुद्दा रहा गायब ? - Hasdeo forest cutting - HASDEO FOREST CUTTING
छत्तीसगढ़ में मंगलवार को तीसरे और अंतिम चरण का चुनाव होना है. लोकसभा चुनाव में सभी सियासी दलों ने कई मुद्दों को लेकर बयानबाजी की. हालांकि छत्तीसगढ़ के प्रमुख हसदेव जंगल के मुद्दे से सियासी दल चुनाव के दौरान दूर रहे. किसी ने भी इस मुद्दे पर बात नहीं की. बल्कि दोनों प्रमुख दल एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए.
लोकसभा चुनाव में हसदेव अरण्य का मुद्दा रहा गायब (Etv Bharat Chhattisgarh)
सरगुजा:हसदेव अरण्य की कटाई का मुद्दा छत्तीसगढ़ की सियासत का बड़ा पहलू रहा है. वर्षों से चल रहा आंदोलन, लगातार पेड़ों की कटाई और कोल उत्खनन को लेकर खूब सियासत देखी गई. भाजपा और कांग्रेस दोनों हसदेव की जमीन के लिए नूरा कुस्ती करते देखे जाते थे, लेकिन हैरत की बात ये है कि जब देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे थे, तब हसदेव का मुद्दा गायब था. दोनों ही बड़े राजनीति दल इस मसले पर शांत हैं.
चुनाव में गायब रहे ये मुद्दा:लगातार राहुल गांधी या कांग्रेस के अन्य नेता भाजपा पर अडानी का पार्टनर होने का आरोप लगाते रहे हैं. कांग्रेस का कहना था कि केंद्र सरकार पेड़ कटवा रही है, लेकिन जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार में भी पेड़ काटे गये. केंद्र द्वारा दी गई पर्यावरणीय स्वीकृति में कांग्रेस सरकार का भी उतना योगदान था, जितना केंद्र की भाजपा सरकार का था. जब हसदेव में विवाद बढ़ा तो तत्कालीन डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव हसदेव पहुंचे. उन्होंने अंदोलन का समर्थन किया. बात राहुल गांधी तक पहुंची. तब राहुल गांधी देश से बाहर थे, वहां अपने इंटरव्यू में राहुल ने एक बार फिर हसदेव को बचाने की बात कही, लेकिन शायद वो अपने मुख्यमंत्री को नहीं समझ पाए और पुलिस के पहरे में पेड़ कटवा दिए गए.
कांग्रेस जल, जंगल और जमीन पर शुरु से राजनीति करती आई है. 5 साल कांग्रेस की सरकार रही है. एक तरफ राहुल गांधी देश हित में काम करने वाले उद्योगपति के खिलाफ मुहिम छेड़े रहते हैं. दूसरी ओर उनके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पेड़ की कटाई की परमिशन देते हैं. कांग्रेस ने हसदेव पर सिर्फ राजनीति की है. -रोचक गुप्ता, भाजपा नेता
जानिए क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता:इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता राकेश तिवारी कहते हैं कि, "कांग्रेस शासनकाल में भी जंगल की कटाई हुई है. भाजपा की सरकार में भी जंगल काटे गए. सरकार जब बदलती है तो पात्र बदलते हैं, चरित्र नहीं बदलता. लोकसभा चुनाव में लोग प्रचार में लगे हैं. किसी को पर्यावरण की चिंता नही है. जो सत्ता में नहीं होने पर कभी कभी ताल ठोकते दिखते थे. वो सारे लोग आज शांत हैं. इनके घोषणा पत्र में या किसी के भी भाषण में ये किसी ने नहीं कहा कि हम हसदेव अरण्य को बचाने का काम करेंगे."
कांग्रेस बिल्कुल खामोश नहीं है. राहुल गांधी जी ने इस मुद्दे को उठाया है. हम लोगों ने इस मुद्दे को उठाया है क्योंकि इसकी अनुमति का मामला केंद्र सरकार का है. वहां भाजपा की सरकार है. हम लोग मुद्दे को उठा सकते हैं, लेकिन निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है. भाजपा ने हसदेव का जंगल बचाने का कोई प्रयास नहीं किया, इसका जवाब सरगुजा की जनता मतदान के दिन देगी. हमारी सरकार आई तो निश्चित ही हम हसदेव जंगल की कटाई पर रोक लगाएंगे.-जेपी श्रीवास्तव, कांग्रेस नेता
चुनाव से गायब रहा हसदेव मुद्दा : इससे पहले राज्य में भाजपा की सरकार थी, तब भी वही स्थिति थी. तब भी पेड़ काटे गए, लेकिन कांग्रेस की सत्ता में भाजपा नेताओं ने भी जमकर कांग्रेस का विरोध किया. हसदेव में पेड़ कटाई का जिम्मेदार कांग्रेस को बताया. जबकि कोल ब्लॉक आबंटन से लेकर जंगल कटाई की अनुमति तक केंद्रीय मंत्रालयों से मिलती है और केंद्र में भाजपा की ही सरकार थी. सियासी अखाड़े में नूरा कुस्ती तो दोनों ही दलों ने की है, लेकिन जब असल चुनाव आया. केंद्र की सरकार बनाने का वक्त है. जिस केंद्र सरकार को कांग्रेस अडानी का मित्र कहती है. उस कांग्रेस को भी हसदेव की याद नहीं आई और ना ही भाजपा के पास इस मसले पर कुछ कहने को है. चुनाव के मुख्य मुद्दों से हसदेव का मुद्दा गायब रहा.