करनाल:हरियाणा में धान कटाई का समय है और ऐसे में धान कटाई के बाद फसल अवशेषों में आगजनी के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने और जीरो बर्निंग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कमर कस ली है. जिसके लिए विभाग द्वारा उपायुक्त उत्तम सिंह के मार्गदर्शन व जिला प्रशासन के सहयोग से 300 अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी फील्ड में आगजनी पर निगरानी और न मानने वालों पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए लगा दी है. जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन करना काफी जरूरी है.
खेत में आग लगाने के नुकसान:कृषि अधिकारी ने कहा की अगर कोई अपने अवशेष में आग लगाता है, तो उस जहां वातावरण खराब होता है. वहीं, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है. क्योंकि उसके मित्र कीट आग में जलकर नष्ट हो जाते हैं. जिसके चलते फसल पैदावार कम हो जाती है और लागत बढ़ जाती है. फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए किसानों को कई प्रकार से जागरूक किया जाता है. बताया जाता है कि कैसे-कैसे वह अपना फसल अवशेष प्रबंधन कर सकते हैं. इसके साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन करने के साथ पैसा भी कमा सकते हैं.
गौशाला को पराली प्रबंधन से लाभ:कृषि विभाग के द्वारा जहां किसानों को प्रति एकड़ फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए ₹1000 प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाती है, तो वहीं सरकार के द्वारा एक और बड़ा फैसला फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किया गया है. अगर किसानों से गौशाला फसल अवशेष लेती है. तो उनको ₹500 प्रति एकड़ यातायात के खर्च के रूप में सहायता राशि दी जाएगी. एक गौशाला को अधिकतम सहायता राशि 15000 रुपए तक दी जाएगी. लेकिन इसके लिए जरूरी होना चाहिए कि वह गौशाला गौ सेवा आयोग के साथ पंजीकृत हो.
किसानों को दी जाने वाली राशि:अगर कोई किसान भाई अपनी फसल अवशेष में आग न लगाकर उसका मशीन से प्रबंध करें तो उसके लिए किसान को कृषि विभाग के द्वारा 1000 के प्रति एकड़ राशि दी जाती है. लेकिन इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को उसका ब्यौरा कृषि पोर्टल पर देना होता है कि उसने कितने एकड़ में कौन सी फसल लगाई है और फसल अवशेष प्रबंधन कितने एकड़ में किया गया है. वहां पर मशीन गट्ठे बनाने के लिए आती है और वह खुद ही उसको उठा कर लेकर जाते हैं. इसके लिए किसान को 1000 पर राशि दी जाती है.
कृषि यंत्र के लिए दिया जाता है अनुदान:हरियाणा सरकार द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रयास रहता है कि किसान अपनी फसल अवशेष का प्रबंध करें. जिसके चलते किसानों को अनुदान पर स्ट्रॉबेलर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज मशीन, रोटावेटर सहित कई कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाते हैं. अगर कोई अकेला किसान लेता है, तो उसको 50% अनुदान पर कृषि यंत्र दिए जाते हैं. अगर किसान समूह में लेता है, कस्टम हायर सेंटर तो उसको 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है.