चंडीगढ़: हरियाणा में उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन को कामकाज में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई समस्याओं के चलते जिला अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला के 500 से अधिक राइस मिलर्स चिंतित हैं. इन सभी का प्रतिनिधित्व करने वाली उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने आज चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार व खरीद एजेंसियों के समक्ष अपनी मुख्य मांगे रखी.
20 वर्ष से CMR का काम कर रहे मिलर्स
उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने बताया कि वे बीते 20 वर्षों से कस्टम मिलिंग राइस (CMR) का कार्य कर रहे हैं. लेकिन मौजूदा समय में काफी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. उन्होंने खरीद एजेंसीज (फूड एवं सप्लाई, हैफेड और एचडब्ल्यूसी) व सरकार से उनकी समस्याओं पर विचार कर जल्द समाधान की अपील की है.
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि सरकारी खरीद एजेंसियां राइस मिलर्स को अनाज मंडियों से धान उपलब्ध करवाती है. राइस मिलर्स को उस धान की मिलिंग/शेलिंग कर उसका छिलका उतारकर चावल FCI के सरकारी गोदामी में सप्लाई करना होता है.
जगह उपलब्ध नहीं होने से परेशानी
मिलर्स एसोसिएशन ने बताया कि पिछले सीजन 2023-24 में खरीद एजेंसियों/एफसीआई ने चावल लगाने के लिए राइस मिलर्स को पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं करवाई. इस कारण जो CMR का काम 31 मार्च 2024 को पूरा होना चाहिए था, वो अभी तक अधूरा है. जबकि नए सीजन का धान मंडियों में 15 सितंबर से आ जाएगा. लेकिन कुछ राइस मिलर्स का पिछले वर्ष का काम अब तक लंबित है. पर्याप्त जगह नहीं होने से चावल की डिलीवरी देरी से हुई. इस कारण मिलर्स को काफी आर्थिक नुकसान हुआ.
हरियाणा के गोदामों में चावल के लिए जगह नहीं
एसोसिएशन बताया कि एफसीआई व खरीद एजेंसियों के पास आगामी सीजन (KMS 2024-25) में राज्य में चावल लगाने के लिए गोदामों में जगह नहीं है और ना ही कोई अन्य पुख्ता इंतजाम है. ऐसे में मिलर्स के लिए आगामी सीजन में CMR का काम करना मुमकिन नहीं है.
यह हैं खरीद एजेंसियों व सरकार से मुख्य मांगें
- चावल लगाने को पर्याप्त जगह उपलब्ध करवाई जाए
- CMR डिलीवरी में चावल का यील्ड परसेंटेज कम किया जाए (67% से 62% किया जाए)
- CMR डिलीवरी में टूटा चावल (टुकड़ा) का परसेंटेज बढ़ाया जाए (25% से 35% किया जाए)
- ड्राइज परसेंटेज बढ़ाई जाए
- मिलिंग चार्जेज बढ़ाए जाएं (10 रूपये से 120 रुपए प्रति क्विंटल किए जाएं). बीते 20-25 साल से मिलिंग चार्जेज 10 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मिल रहे हैं.
- बारदाना डेप्रिसिएशन बिना बिल के 14.19 रूपये क्विंटल के हिसाब से राइस मिलर्स को मिले.
- बीते वर्षों के बकाया (अनलोडिंग और स्टैंकिंग, वुडेन करेड और पोनिकोवेर्स) राशि राइस मिलर्स को दी जाए.
- राइस मिल से गोदाम तक चावल लगाने का मिलर्स को उचित किराया मिले.
- राइस मिलर्स द्वारा अपने शेलर में धान रखने का पर्याप्त किराया मिलना चाहिए.
- मिलिंग पॉलिसी सितंबर के पहले सप्ताह में आ जानी चाहिए, ताकि मिलर्स पॉलिसी की शर्तें देखकर फैसला ले सकें. एक बार पॉलिसी जारी होने के बाद कोई ऐसी गाइडलाइन्स नहीं आनी चाहिएं, जिससे मिलर्स को आर्थिक नुकसान हो.
CMR का काम करने में मिलर्स असमर्थ
मिलर्स एसोसिएशन ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होने पर आगामी सीजन 2024-25 में कस्टम मिलिंग राइस (CMR) का कार्य करने में असमर्थता जताई है. ऐसी स्थिति में सरकारी खरीद एजेंसीयों को आगामी सीजन में खरीदी जाने वाली जीरी/धान के भंडारण (स्टोरेज) और मिलिंग (CMR) का बंदोबस्त खुद करने की चेतावनी दी है.
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