पुलिस की लापरवाही और डॉक्टरों के लालच से युवक का जीवन बर्बाद! पानीपत: पुलिस की लापरवाही और सरकारी डॉक्टरों के लालच के चलते एक युवक का भविष्य बर्बाद हो गया है. दरअसल 2015 में हरियाणा पुलिस कांस्टेबल भर्ती हुई थी. जिसमें डॉक्टर ने शिकायत दी थी कि अपनी जगह दूसरे युवक को भेजकर फर्जी मेडिकल टेस्ट करवाया गया है. कोर्ट में ये शिकायत झूठी साबित हुई. कोर्ट ने दोनों युवकों को बाइज्जत बरी किया है. कोर्ट के आदेशों के बाद केस में आरोपी बनाया गया युवक लीगल कार्रवाई के लिए तैयारी में जुटा है.
कांस्टेबल भर्ती का है मामला: युवक संदीप के अधिवक्ता मनीष शर्मा ने बताया कि 2015 में हरियाणा पुलिस कांस्टेबल की भर्ती निकाली थी. इस भर्ती में हांसी के रहने वाले संदीप ने भी आवेदन किया था. 23 जून 2018 को संदीप को कॉल आई. जिसमें कहा गया कि वो कांस्टेबल भर्ती के लिए शॉर्टलिस्ट हो गया है. संदीप को अपने दस्तावेजों के साथ मधुबन पुलिस अकादमी रिपोर्ट करने को कहा गया. शाम के समय संदीप मधुबन पहुंच गया. जहां उसके दस्तावेज जांचे गए.
डॉक्टर में मांगी रिश्वत: इसके बाद उसे और उसके साथी कैंडिडेट को बैरक अलॉट कर दिए गए. उन्हें कहा गया कि 24 जून को उनका पानीपत सरकारी अस्पताल से मेडिकल होगा. सभी सिलेक्ट 16 युवाओं को मधुबन पुलिस बस में बैठा कर ASI रमेश और HC संदीप की सुपरविजन में पानीपत सिविल अस्पताल लाया गया. जहां पर सभी का मेडिकल हुआ. यहां संदीप से डॉक्टर के कर्मचारी कृष्णपाल ने कहा कि तेरा काम हो जाएगा. डॉक्टर की सेवा पानी कर दो.
युवक की मेडिकल रिपोर्ट में आंख के आगे वाला कॉलम खाली रिश्वत नहीं देने पर करवाया गिरफ्तार: कष्ण पाल ने इशारे में करीब 50 हजार की डिमांड की थी. जिसपर संदीप ने रिश्वत देने से मना कर दिया. कुछ देर बाद आए हुए अभ्यार्थियों में से संदीप और अजय को दोबारा मेडिकल जांच के लिए अगले दिन 25 जून 2018 बुलाया गया था. दोनों के दस्तावेज एएसआई रमेश ने अपने पास रख लिए थे. अगले दिन पानीपत बस स्टैंड चौकी इंचार्ज एसआई भीमसेन ने संदीप को कॉल की.
युवक को जबरदस्ती फंसाया गया: पहली कॉल में आवाज साफ ना आने के चलते संदीप ने कॉल बैक की. जिसमें उसे सिविल अस्पताल के कमरा नंबर 7 में बुलाया गया. संदीप के मुताबिक वो कमरा नंबर 7 में गया, तो वहां पहले से ही पुलिस, डॉक्टर और मीडिया बैठी हुई थी. वहां एक अन्य युवक संदीप पुत्र महेंद्र सिंह निवासी तोशाम भिवानी को पुलिस ने पकड़ा हुआ था. जिसके बारे में मुझसे पूछा गया कि क्या तू उसे जानता है. तो उसने मना कर दिया.
युवक के मेडिकल में की गड़बड़ी: पुलिस ने धमकाया और वहां से अपनी हिरासत में ले लिया और सिटी थाना ले गए. जहां पीड़ित को कहा गया कि तेरा आंखों का टेस्ट फेल हो गया है. तू कलर ब्लाइंड है, तूने अपनी जगह पर संदीप पुत्र महेंद्र सिंह को मेडिकल टेस्ट करवाने के लिए भेजा था. तुम्हारी फोटो मैच ना होने के चलते तुम पकड़े गए हो. इसके बाद आनन-फानन में मुझ पर डॉक्टर शालिनी मेहता की शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया और दोपहर बाद कोर्ट में पेश किया गया.
मेडिकल में आंख टेस्ट का कॉलम खाली: संदीप ने बताया कि कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद संदीप को जब चालान की कॉपी मिली. जिसमें उसने देखा कि मेडिकल टेस्ट के दौरान उसका आंखों के टेस्ट वाला कॉलम खाली छोड़ा हुआ है. जिससे उसे पता लगा कि डॉक्टर ने रिश्वत ना देने के चलते कॉलम खाली छोड़ा और उसे झूठे केस में फंसाया था, जबकि उसी दिन उसकी आंखें भी टेस्ट हुई थी. इसके बाद संदीप ने 18 RTI लगाई. जिसमें खुलासा हुआ कि जिन 6 डॉक्टरों ने उसे देखा था. उन्होंने कमेंट लिखे थे, जबकि आंखों वाला खाली छोड़ा हुआ था. अब युवक संदीप लीगल कार्रवाई की तैयारी में है.
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