चंडीगढ़: एसआरके गुट की कांग्रेस संदेश यात्रा हाईकमान पर दबाव बनाने में क्या सफल हुई है? क्या कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी अपने मकसद में कामयाब हो गई है? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एसआरके के गुट की कांग्रेस संदेश यात्रा से पहले पार्टी किनारा कर रही थी, लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ है जिससे ये लग रहा है कि पार्टी ने इस यात्रा में जुटी भीड़ को देख लिया है और उसके बाद ही इन नेताओं को तरजीह देने का पार्टी ने मन बना लिया.
चार कमेटियों में मिली एसआरके गुट के नेताओं को जगह: दरअसल हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान ने गुटबाजी पर रोक लगाने के लिए हरियाणा कांग्रेस इलेक्शन कमेटी, पॉलिटिकल अफेयर कमेटी, मेनिफेस्टो कमेटी और डिसीप्लिनरी एक्शन कमेटी की सूची जारी की है. इस सूची में एसआरके गुट को भी तरजीह दी गई है. इस सूची में कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी गुट के नेताओं को जगह मिली है. जबकि पहली लिस्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का दबदबा रहा. वहीं इस नई लिस्ट में एसआरके गुट के नेताओं को जगह दी गई है. माना जा रहा है कि हरियाणा में हुड्डा गुट, SRK गुट में सामंजस्य बैठाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने दूसरी सूची जारी की है.
पार्टी की इस रणनीति के बाद उठ रहे कई सवाल? सवाल ये है कि क्या एसआरके गुट की यात्रा के दबाव के चलते आलाकमान दूसरी सूची जारी करने के लिए मजबूर हुआ है? या फिर पार्टी का गुटबाजी को चुनाव से पहले बैलेंस करने का ये प्रयास है? क्या कांग्रेस की ये कोशिश हरियाणा में पार्टी को बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कर मजबूती दे पाएगी? कांग्रेस के इस कदम के क्या राजनीतिक मायने है?
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार? इस मामले में राजनीतिक मामलों की जानकारी धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी गुटबाजी है. जहां तक बात एसआरके गुट की यात्रा का है, तो निश्चित तौर पर ही हरियाणा कांग्रेस संदेश यात्रा का भी असर कहीं ना कहीं पार्टी पर पड़ा होगा, लेकिन उससे बड़ी बात ये है कि हरियाणा में पार्टी को अगर बीजेपी से मुकाबला करना है, तो इन सभी गुटों का एक साथ आना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नई सूची हुड्डा और एसआरके गुट को बैलेंस करने के एक प्रयोग के तौर पर देखा जा सकता है.