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मॉनिटर लिजर्ड के अंगों की तस्करी का मामला, वन विभाग ने राजस्थान से साथी तस्कर को किया अरेस्ट - Wildlife Smuggler Arrested - WILDLIFE SMUGGLER ARRESTED

Wildlife Smuggler Arrested, Action of Haridwar Forest Division हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने मॉनिटर लिजर्ड के अंगों की तस्करी करने वाले आरोपी को राजस्थान से गिरफ्तार किया है. ये तस्कर हरिद्वार में गिरफ्तार किया गया तस्कर का साथी है.

Wildlife Smuggler Arrested
वन विभाग ने राजस्थान से साथी तस्कर को किया अरेस्ट (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 12, 2024, 8:55 PM IST

हरिद्वारः मॉनिटर लिजर्ड (गोह) के अंगों की तस्करी के मामले में हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने 6 अगस्त को एक तस्कर को गिरफ्तार किया था. तस्कर के कब्जे से 285 नग हत्था जोड़ी (मॉनिटर लिजर्ड के अंग) बरामद किए थे. उसी मामले में टीम ने 11 अगस्त को तस्कर के साथी को राजस्थान के भीलवाड़ा से गिरफ्तार किया है.

गौर है कि वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो, नई दिल्ली की सूचना पर हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने 6 अगस्त को हरकी पैड़ी क्षेत्र के विष्णुघाट के समीप बस्ती से एक वन्य जीव तस्कर को गोह के अंगों के साथ गिरफ्तार किया था. जांच में सामने आया था कि तस्कर द्वारा कई वन्य जीवों की तस्करी दूसरे राज्यों में भी की गई.

हरिद्वार वन प्रभाग के रेंजर शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि गिरफ्तार तस्कर से जानकारी मिली कि राजस्थान के भीलवाड़ा से उसके साथी ने उसे बरामद गोह के अंग भेजे थे. इसके बाद उच्चाधिकारियों को मामले की सूचना दी गई. साथ ही साथी तस्कर के भीलवाड़ा में मौजूद होने या न होने की जानकारी जुटाई गई. रेंजर नेगी ने बताया कि साथी तस्कर के भीलवाड़ा में मौजूद होने की पुख्ता जानकारी मिली तो हरिद्वार से टीम भीलवाड़ा के लिए रवाना हुई.

वहीं 11 अगस्त को हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने राजस्थान के भीलवाड़ा के शाहपुरा से दीपक पुत्र राकेश कुमार को गिरफ्तार किया. इसके बाद तस्कर को हरिद्वार लाकर उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9/51 में केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया है.

रेंजर शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि वन्यजीवों एवं वन्यजीवों के अंगों की तस्करी वन अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आता है. कुछ व्यक्तियों द्वारा लोगों को गुमराह कर वन्य जीव के अंगों का पूजा-पाठ आदि में उपयोग किए जाने की सलाह दी जाती है, जो कि भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथासंशोधित 2023 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है.

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