माचक नदी पर बना पुल धंसा, जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे ग्रामीण, देख रहे विकास की राह - Machak river bridge damaged
हरदा जिले के रोलगांव में माचक नदी पर बने पुल की हालत खराब है. पिछले 9 साल में पुल तीन बार क्षतिग्रस्त हुआ है. पुल बीच में से पूरी धसक गया है. जिसके चलते आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित है. ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर निकलने को मजबूर हैं. कभी भी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता. लेकिन प्रशासन अब तक पुल को दुरुस्त नहीं करवा सका है.
हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा में प्रशासनन की लापरवाही का खामियाजा 100 से अधिक गांव के ग्रामीण भुगत रहे हैं. मामला जिले के रोलगांव गांव का है. जहां तीन दशक पहले माचक नदी पर पुल बनाया गया था, जो पिछले 9 साल में तीन बार क्षतिग्रस्त हुआ है. बता दें कि यह वही माचक नदी है जिसमें वर्ष 2015 में ट्रेन हादसा हुआ था. तब भी यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया था, और इसकी मरम्मत की गई थी. इस बार पुल बीच में से धंस गया है जिसके चलते इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया है और लोगो को नदी मे से ही आना जाना पड़ रहा है.
जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे ग्रामीण (Etv Bharat)
नदी पार कर जाते हैं ग्रामीण
लोगों को नदी के दोनों और आधा-आधा किलोमीटर कच्चा रास्ता और पथरीली नदी पार करना पड़ रहा है. दोपहिया वाहन से लेकर बस भी यही से निकलती है रास्ता इतना खराब है कि दोपहिया वाहन चालकों को महिलाओं को उतारकर नदी पार करना पड़ रहा है. जिसके चलते किसी की बाइक फिसलती है तो कभी पानी में वाहन बंद हो जाते हैं, जिसे धक्का देकर निकालना पड़ता है. लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन वैकल्पिक रास्ता बना रहा है, जो पहली बारिश में ही बंद हो जायेगा. क्योंकि यहां पहाड़ी नदी है इसमें पानी का तेज बहाव रहता है. ऐसे में बारिश के दिनों में किसानों और स्कूल जाने वाले बच्चों को 20 से 30 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ेगा. इधर कलेक्टर ने बारिश से पहले 84 लाख की लागत से वैकल्पिक मार्ग बनाने की बात कही है. लेकिन काम इतना धीरे चल रहा है कि बारिश आने से पहले यह काम होना मुश्किल है. इस बार 15 जून तक मानसून आने की उम्मीद है. अगर पहली बारिश तेज आती है तो चार महीने के लिए यह रास्ता बंद हो जायेगा.