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देहरादून में आयोजित हुआ ज्ञान मंथन मेला, बच्चों ने पेश किए अर्ली वार्निंग सिस्टम और स्मार्ट फार्मिंग कार मॉडल - GYAN MANTHAN MELA

देहरादून में आसरा ट्रस्ट के स्केलेबिलिटी सेंटर में ज्ञान मंथन मेला आयोजित हुआ. मेले में बच्चों ने तमाम मॉडल पेश किए.

Gyan Manthan Mela
देहरादून में आयोजित हुआ ज्ञान मंथन मेला (PHOTO-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 15 hours ago

Updated : 13 hours ago

देहरादून: आसरा ट्रस्ट की स्केलेबिलिटी सेंटर में शनिवार को ज्ञान मंथन मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में प्रदेश के कई जिलों के करीब 20 से अधिक सरकारी स्कूलों के बच्चे शामिल हुए. ज्ञान मंथन मेले में बच्चों की ओर से खुद तैयार किए गए तमाम मॉडल भी प्रस्तुत किए गए. इन सभी मॉडलों में अर्ली मॉर्निंग सिस्टम और इंटीग्रेटेड स्मार्ट फार्मिंग का मॉडल आकर्षण का केंद्र रहा. दरअसल, उत्तराखंड शिक्षा विभाग और आसरा ट्रस्ट के बीच एमओयू साइन किया गया है, जिसके तहत ट्रस्ट की ओर से सरकारी स्कूली बच्चों को साइंस टेक्नोलॉजी की जानकारी दी जा रही है.

वर्तमान समय में उत्तराखंड के 20 सरकारी स्कूलों को आसरा ट्रस्ट की ओर से साइंस टेक्नोलॉजी की जानकारी दिए जाने के साथ ही नए-नए प्रोजेक्ट्स तैयार करने के लिए बच्चों को धनराशि भी उपलब्ध कराई जा रही है. वहीं, मेले में अर्ली वार्निंग सिस्टम मॉडल की जानकारी देते हुए बच्चों ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में हर साल आपदा आती है और आपदा की वजह से काफी अधिक नुकसान होता है जिसको देखते हुए उन्होंने एक अर्ली वार्निंग सिस्टम- हरित सुरक्षा प्रोजेक्ट तैयार किया. इस मॉडल के जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि प्राकृतिक आपदा से कैसे लोगों के जान माल की सुरक्षा की जा सकती है. इस प्रोजेक्ट में फॉरेस्ट फायर, नदियों में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा और रैन ड्रॉप पर जोर दिया गया है. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में 20 दिन का समय लगा है.

देहरादून में आयोजित हुआ ज्ञान मंथन मेला (VIDEO- ETV Bharat)

इसके अलावा, ज्ञान मंथन मेले में किसानों की समस्याओं को देखते हुए भी एक मॉडल प्रस्तुत किया गया. जिसे इंटीग्रेटेड स्मार्ट फार्मिंग कार नाम दिया गया. इंटीग्रेटेड स्मार्ट फार्मिंग कार तैयार करने वाले बच्चों ने बताया कि उन्होंने एक ऐसी कार बनाई है जो कृषि संबंधित सभी काम करेगी. जिसमें खेत की जुताई, खेत में पानी डालना, फसल की देखरेख करना, फसल की कटाई और फसल को घर तक पहुंचाया भी शामिल है. साथ ही बताया कि जो उन्होंने मॉडल तैयार किया है, उसकी रेंज एक किलोमीटर की है. यानी किसान एक किलोमीटर दूर बैठकर भी इस कार को ऑपरेट कर सकेगा. इस कार की खास बात ये है कि सौर ऊर्जा के जरिए भी कार को संचालित किया जा सकता है. ये प्रोजेक्ट तैयार करने में करीब 1 महीने का वक्त लगा है और लगभग 14 से 15 हजार रुपए का खर्च आया है.

वहीं, आसरा ट्रस्ट के सीईओ अमित बलोदी ने बताया कि गरीब परिवार से आने वाले बच्चों के पास इतना संसाधन उपलब्ध नहीं है जिससे वो साइंस टेक्नोलॉजी का ज्ञान ले सकें. ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को साइंस और टेक्नोलॉजी का ज्ञान देने के लिए पहल की गई है. ऐसे में ये बच्चे जो साइंस टेक्नोलॉजी को सीखने के साथ ही प्रोजेक्ट तैयार करते हैं. उन प्रोजेक्ट्स को लोगों तक पहुंचाने और बताने में ज्ञान मंथन मेला एक बेहतर मंच साबित हो रहा है. वर्तमान समय में ट्रस्ट, उत्तराखंड शिक्षा विभाग के साथ मिलकर 20 सरकारी स्कूलों को संचालित कर रहा है. साथ ही वहां के बच्चों को साइंस और टेक्नोलॉजी की जानकारी दे रहा है.

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Last Updated : 13 hours ago

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