ग्वालियर. आज महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं, हवाई जहाज की उड़ान हो या ट्रेन चलाने का काम, महिला शक्ति आज घर से लेकर देश की अर्थव्यवस्था तक को संभाल रही है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International women's day) पर बात करेंगे ऐसी ही महिला आईपीएस के बारे में जो अन्य महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर की रहने वाली आयुषी बंसल (IPS Ayushi Bansal) की, जो बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से निकलकर आईपीएस ऑफिसर बनी हैं.
उपलब्धि के पीछे है मां का संघर्ष
आयुषी बंसल का चयन यूपीएससी के सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC CSE) 2022 में हुआ. उन्होंने भारत में 188वीं रैंक हांसिल की थी. लेकिन इस उपलब्धि के पीछे उनके कड़े संघर्ष की कहानी भी है. उनके पिता एलआईसी में काम करते थे और जब वे छोटी थीं, उस दौरान उनके पिता का निधन हो गया था. पिता के गुजरने के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी मां के कंधों पर थी. उनकी मां ने घर और बच्चे दोनों को संभाला. आयुषी की मां भी LIC में कार्यरत हैं. आयुषी कहती हैं कि उनसे ज्यादा मां के जीवन में संघर्ष रहा, जिन्होंने जमाने से लड़कर उन्हें पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया.
मां ने हमेशा दिया साथ
आयुषी बंसल ने शुरुआती पढ़ाई ग्वालियर में कॉन्वेंट स्कूल से की. इसके बाद जब बात हायर सेकेंडरी तक आई तो आयुषी ने दिल्ली के एक नामी स्कूल से पढ़ाई करने की इच्छा जताई. हालांकि, ये अपने आप में बड़ा कदम था क्योंकि वे कभी अकेले ग्वालियर से बाहर ही नहीं गई थीं और फिर स्कूलिंग के राजधानी दिल्ली जाना चाहती थीं. मां की मंजूरी मिली तो आयुषी पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंच गईं. कड़ी मेहनत रंग लाई और अच्छी रैंक से पास हुईं. फिर कानपुर आईआईटी से ग्रेजुएशन किया और आईपीएस बनने से पहले दो नामी कंपनियों में जॉब भी की.
प्राइवेट जॉब छोड़कर की यूपीएससी की तैयारी
आयुषी की मां शुरू से चाहती थीं कि उनकी बेटी सिविल सर्विसेज में जाए. वहीं प्राइवेट जॉब के बावजूद आयुषी का भी झुकाव पब्लिक सेक्टर की ओर होने लगा तो उन्होंने जॉब छोड़ी और यूपीएससी की तैयारी शुरू की. पहले ही प्रयास में उन्होंने अपनी मां का सपना पूरा कर दिया. उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हुआ, जिसकी जानकारी उन्हें फोन पर दी गई.