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जिस डकैत को 17 साल पहले किया ढेर वह आज भी जिंदा, हाईकोर्ट ने एमपी पुलिस के एनकाउंटर की खोली पोल - MP Police fake encounter

चम्बल के डकैत अमर सिंह और कालिया का एनकाउंटर चर्चा में रहा है. इस केस में 17 साल पता चला कि मुठभेड़ में मारा गया डकैत कालिया आज भी जिंदा है. इस मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस के एनकाउंटर पोल खोलकर रख दी. जिस व्यक्ति को पुलिस ने डकैत के नाम पर मारा, उसका परिवार न्याय के लिए आज भी लड़ाई लड़ रहा है.

MP Police fake encounter
हाईकोर्ट ने एमपी पुलिस के एनकाउंटर की खोली पोल (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 11:39 AM IST

ग्वालियर।साल 2007 में ग्वालियर की डबरा पुलिस ने खरेट क्षेत्र में डकैत अमर सिंह और कालिया उर्फ ब्रजमोहन को एनकाउंटर में कथित रूप से मार गिराया. उनके शव दिखाकर मुठभेड़ की पुष्टि की. लेकिन इसके बाद से ही एक परिवार डबरा पुलिस पर उनके बेटे की हत्या कर उसका शव डकैत कालिया के रूप में प्रदर्शित करने का दावा करता रहा. पीड़ित परिवार लंबे अरसे से न्याय की उम्मीद में क़ानूनी लड़ाई लड़ता रहा. अब ग्वालियर हाईकोर्ट ने इस मामले में पीड़ित परिवार की सीबीआई जांच की अपील ख़ारिज कर दी है लेकिन डकैत कालिया के एनकाउंटर को फ़र्ज़ी करार दिया है.

युवक को 19 साल पहले घर से उठा ले गई थी पुलिस

इस मामले से जुड़े हाईकोर्ट अधिवक्ता ने बताया कि ये पूरा मामला तब सामने आया जब डबरा के रहने वाली महिला जनका केवट ने शिकायत करते हुए बताया था कि, 22 अप्रैल 2005 को डबरा पुलिस उनके तीनों बेटों को अधी रात में उठा ले गई. कई दिनों तक अपने पास रखा. जब महिला ने इसकी शिकायत पुलिस विभाग के आला अधिकारियों से की तो डबरा पुलिस ने उसके दो बेटों को छोड़ दिया. लेकिन एक को हिरासत में ही रखा. दोबारा शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

एनकाउंटर में मरने वाले डकैतों की फोटो देख पहचान लिया बेटा

अचानक डेढ़ साल बाद 5 फरवरी 2007 में उसने अखबार में डकैत अमर सिंह और डकैत कालिया के एनकाउंटर कर मार गिराए जाने की ख़बर देखी. लेकिन तस्वीर देखकर उसे यह पता चल गया कि पुलिस ने जिस डकैत कालिया को मार गिराया, एनकाउंटर में कालिया के नाम पर उसके बेटे का शव दिखाया गया है. जब महिला पुलिस के पास पहुंची और बताया कि वह उसका बेटा है तो पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में डकैत कालिया का नाम ब्रजमोहन की जगह उर्फ लगाकर ख़ुशाली राम लिख दिया.

शिकायत पर कार्रवाई ना करने पर लगाया था जुर्माना

पुलिस के इस व्यवहार से आहत होकर अपने बेटे के लिए न्याय की गुहार लगाने पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट की शरण ली और वहाँ अपनी बात रखी कि पुलिस ने डकैत बृज किशोर और कालिया के नाम पर उसके बेटे की हत्या कर दी है. इस याचिका की सुनवाई पर उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिए. साथ ही पुलिस पर 20 हजार का जुर्माना भी लगाया. लेकिन इस फ़ैसले से असंतुष्ट परिवार ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में जाने का फ़ैसला लिया.

आरटीआई से खुलासा, आज भी ज़िंदा है डकैत कालिया

हाई कोर्ट की डबल बेंच में याचिका लगाते हुए यह अपील की गई के पुलिस अधिकारियों द्वारा उसके बेटे को ऐसे डकैत के नाम पर मार दिया गया, जो एनकाउंटर के दिन उत्तर प्रदेश के झांसी जेल में बंद था. इसका ख़ुलासा एक RTI के माध्यम से जुटायी गई जानकारी में हुआ. ऐसे में पीड़ित महिला ने अपील की कि इस केस में कई बड़े अधिकारी शामिल हैं और उसमें निष्पक्ष जांच की संभावना कम है. इसलिए इस केस की जांच अब CBI द्वारा कराई जाए.

दो साल पहले हो गई फरियादी महिला की मौत

2011 में लगायी गई इस याचिका पर लंबे समय तक सुनवाई चली इस बीच दो साल पहले अपने बेटे के न्याय की आस लगाने वाली फ़रियादी महिला भी इस दुनिया को अलविदा कह गई. इसके बाद अपीलकर्ता उसका दूसरा बेटा बना और इतने सालों बाद गुरुवार को ग्वालियर हाई कोर्ट ने इस याचिका में अपना फ़ैसला सुनाया. सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष के वक़ील ने यह बात भी रखी. इस मामले की जांच तत्कालीन ASP ने की है, जिसमें ये सिद्ध हुआ है कि डकैत कालिया आज भी ज़िंदा है.

अब सीबीआई जांच का औचित्य नहीं : हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने इस याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि यह केस बहुत पुराना हो चुका है और इतने लंबे समय के बाद भी पुलिस ने ना तो आज तक इस महिला के शिकायत पर किसी तरह की कोई कार्रवाई की और ना ही कोई एफ़आइआर की है. अब इसमें CBI जांच कराने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए CBI जांच को लेकर लगायी याचिका को ख़ारिज कर दिया गया है . साथ ही पूर्व में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा पुलिस पर लगाए 20हजार के कॉस्ट को बढ़ाकर 1 लाख रुपया कर दिया है.

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पुलिस ने किसे मारकर बताया डकैत

पीड़ित पक्ष के वक़ील ने बताया कि इस याचिका में पूर्व में दिए आदेश के बाद हुई CID जांच में एजेंसी ने सिर्फ़ इस बात की रिपोर्ट पेश की है कि मरने वाला डकैत कालिया नहीं था लेकिन अब भी सवाल वही है कि अगर पुलिस ने एनकाउंटर में 2 लोगों की मौत दिखाई. और उसमें से मरने वाला एक डकैत आज भी ज़िंदा है तो वह दूसरा शव किसका था. पुलिस ने किसे मारकर फेक एनकाउंटर दिखाया. वहीं हाई कोर्ट की डबल बेंच में याचिका ख़ारिज होने के बाद अब पीड़ित परिवार सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाने की तैयारी कर रहा है.

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