मनोज वर्मा, जोधपुर :सूर्य नगरी से बालोतरा तक बहने वाली जोजरी नदी अब नदी नहीं, बल्कि तेजाबी, गंदे पानी का नाला बन चुकी है. इस प्रदूषण ने न सिर्फ खेतों और पानी के स्रोतों को नष्ट कर दिया है, बल्कि ग्रामीणों और पशु-पक्षियों के जीवन को भी संकट में डाल दिया है. नदी में लगातार बहाने वाले पानी का केमिकल तेजाब से ज्यादा कहर बरपा रहा है. आलम यह है कि खेत खलियान, पशु-पक्षी और हजारों बीघा जमीन इस खाली पानी की जद में आ चुके हैं. वहीं, आसपास बसने वाले लोगों की जिंदगी मुहाल हो चुकी है. कभी इलाके की लाइफ लाइन रही इस नदी की बदतर हालात पर जब ग्रामीणों ने मदद की गुहार लगाई तो प्रशासन जागा, लेकिन हालात यह है कि सारी कवायद कागजों में सिमटी है. गांव वाले अब भी भगवान भरोसे हैं. ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर हालात को कवर किया. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट...
दुर्गंध बता देती है गांव आ गया :जोजरी नदी की हालत ये है कि शाम को जोधपुर से धवा जाते हुए बस जब भांढू गांव से आगे निकलती है तो बदबू आने लगती हैं. यह संकेत होते हैं कि धवा आने वाला है. धवा से आगे राजेश्वर नगर से मैलबा के गांव के क्षेत्र में जाएं तो सामने जोजरी नदी में बहता हुआ काला, मटमेला और तेजाबी तेज गंध का पानी, हवा में घुलकर सांस लेना मुश्किल कर देता है. स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक इस नदी के किनारे अब खड़े रहना तो दूर की बात है, आसपास से गुजरना भी मुश्किल है. हालात यह हैं कि नजदीक 50 फीट की दूरी पर मौजूद स्कूल से लगातार नामांकन भी कम हो रहा है.
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केमिकल युक्त पानी से हो रही है खेती :जोजरी नदी के किनारे मौजूद खेतों में नदी का पानी सिंचाई के काम लेना पड़ रहा है, क्योंकि इलाके के दर्जनों कुएं और तालाबों का पानी तेजाबी हो गया है. एक दशक में हर दिन बढ़ते-बढ़ते ऐसे हालात हुए हैं. बीते 20 दिनों से तो इतना पानी आ रहा है कि ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर खुद को बचाने की गुहार लगाई तब कहीं जाकर प्रशासन की नींद खुली. इसके बाद टीन को भेजकर पानी के नमूने लिए गए और विभागों की कमेटी बनाई घई. अब दावा किया जा रहा है कि नदी में प्रदूषित पानी छोड़ने वाली अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की जाएगी. आसपास के लोगों ने बताया कि दोपहर में धूप तेज होने के साथ नदी का पानी गर्म हो जाता है और फिर स्थिति ऐसी हो जाती है कि कई मीटर दूर तक हवा गैस चैंबर की मौजूदगी का अहसास करवाती है.
नेता ग्रामीणों से पूछ रहे हैं समाधान :इलाके के ग्रामीण क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री से इस मसले को लेकर गुहार लगा चुके हैं. राजेश्वर नगर निवासी धन्नाराम ने बताया कि जब वे अपने मंत्री से पूछते हैं कि हालात कब और कैसे सुधरेंगे ? इसपर उल्टा मंत्री उनसे ही पूछते हैं कि तुम ही बताओ क्या समाधान निकालें ? सरकार के कैबिनेट मंत्री यह भी दावा करते हैं कि इस मसले पर राजस्थान की हुकूमत गंभीर है. अपने विधायक और सरकार के मंत्री के इस रुख पर अब ग्रामीणों में नाराजगी साफ जाहिर हो रही है. मंत्री ने चुनाव के दौरान जो वादा किया, अब अपनी ही बात से वह मुंह फेर रहे हैं.
700 के करीब फैक्ट्री घोल रही है जहर :जोजरी नदी में जोधपुर के औद्योगिक इलाके की कई इंडस्ट्रीज का वेस्टेज आता है. इनमें स्टील और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज का तेजाबी और केमिकल युक्त पानी भी शामिल है. जोधपुर में 300 के करीब फैक्ट्रियां सरकार की परमिशन से चल रही हैं, लेकिन इतनी ही अवैध फैक्ट्रियां टेक्सटाइल के कैमिकल युक्त पानी को नदी में छोड़ देती है. इसके अलावा स्टील कारोबार से जुड़े कारखाने का भी यही आलम है और उनकी संख्या भी 100 के करीब है. मेलबा निवासी श्रवणराम का दावा है कि नजदीक के अराबा गांव के ग्रामीणों ने तो एनजीटी में केस किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. धीरे-धीरे नदी में बह रहे इस खतरनाक रसायन की जद में सालावास, नंदवान, राजेश्वर नगर, मेलबा, डोली और कल्याणपुर गांव और यहां की जमीन भी आ रही हैं. इसके बावजूद जिम्मेदार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड आंख मूंद कर बैठा है और दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. औद्योगिक विकास गांव, गरीब और किसान पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
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खेत खलिहान सब हो रहे हैं खराब :ग्रामीण चिमनाराम ने बताया कि जोधपुर के औद्योगिक क्षेत्र से आ रहे प्रदूषित पानी ने पूरे इलाके की जमीन को खराब कर दिया है. किसान इसी पानी से खेती करने के लिए मजबूर हैं. ज्यादातर जमीनें खराब हो चुकी हैं, लेकिन इसके सिवाय कोई चारा नहीं है. जोधपुर से निकला पानी जोजरी नदी जो अब नाला बन गई है, कल्याणपुर से बालोतरा जिले में प्रवेश करता है. करीब 40-50 किलोमीटर तक इस पानी के आसपास की जमीनें बंजर हो रही हैं. जोधपुर जिले के 31 किलोमीटर में रहने वाली 16 की आबादी प्रभावित हो रही हैं.
तालाब-कुआं सब खत्म :मैलबा गांव की सरहद पर स्वच्छ तालाब के साथ ही एक कुआं होता था. धन्नाराम ने बताया कि यह कुआं करीब 100 साल पुराना था, वह खुद 15-20 साल पहले यहां से पीने का पानी भरकर ले जाते थे, लेकिन अब ऐसे हालात हैं कि काला प्रदूषित रसायनिक पानी ने कुएं और तालाब को खराब कर दिया है. कुएं को जाली से ढक दिया गया है. इसके पास ही पशुओं के पानी पीने की जगह थी, लेकिन सब कुछ तबाह हो गया है. घरों में नल के लिए पाइप बिछ गए हैं, लेकिन पानी नहीं आता है. मजबूरी में पानी के टैंकर मगंवाने पड़ रहे हैं.