चरखी दादरी :कहते हैं ना कि हिम्मत हो तो ज़िंदगी में कुछ भी मुमकिन है. कई बार हादसे में अपने शरीर के अंगों को गंवाकर जहां कई लोग निराशा के अंधकार में डूब जाते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी इस कमी को ही ताकत बनाकर समाज में नाम कमा डालते हैं. ऐसा ही कुछ किया है चरखी दादरी के रहने वाले नितेश लुहाच ने. उन्होंने पेरिस पैरा ओलंपिक में गोल्ड जीतकर पूरे चरखी दादरी का मान बढ़ा डाला है.
रेल हादसे में गंवाया था पैर :करीब 15 साल पहले रेल हादसे में पैर गंवाने के बाद भी नितेश लुहाच ने हार नहीं मानी और परिजनों से प्रेरणा लेते हुए जीवन में आगे बढ़ने का फैसला लिया. यही वजह है कि वे अपनी मेहनत के बलबूते आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते गए और आज पैरा ओलपिंक में गोल्ड जीतकर वापस चरखी दादरी लौटे हैं. नितेश लुहाच ने युवाओं को भी दृढ़ संकल्प लेते हुए मेहनत करने की प्रेरणा दी है.
गोल्ड मेडल जीतने पर ग्रैंड वेलकम :आपको बता दें कि गांव नांधा निवासी नितेश लुहाच ने पेरिस पैरा ओलंपिक के पुरूष एकल बैडमिंटन प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है. गोल्ड जीतने के बाद पहली बार गांव लौटे नितेश लुहाच का बाढड़ा कस्बा में सम्मान किया गया. एसडीएम सुरेश दलाल समेत कई संगठनों ने नितेश का सम्मान किया. इसके बाद खुले वाहन में बैठाकर डीजे के साथ कस्बे में विजयी जुलूस निकाला गया. नितेश ने बताया कि सफर बहुत लंबा था और वे मेहनत के बूते ही गोल्ड जीत पाए हैं.