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MP हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- वृक्ष काटने की अनुमति का अधिकार ग्राम पंचायत को क्यों - HC notice to government

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि पेड़ काटने की अनुमति देने का अधिकार सरपंचों को कैसे दे दिया. कोर्ट ने सरकार के जिम्मेदार अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

MP High Court notice to government
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को दिया नोटिस

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 2, 2024, 5:23 PM IST

जबलपुर।निजी जमीन में लगे पेड़ों को काटने की अनुमति देने का अधिकार अब ग्राम पंचायत को मिल गए हैं. इसके खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. इसमें कहा गया कि निजी जमीन में लगे पेड़ काटने की अनुमति देने का अधिकार तहसीलदार से वापस लेकर ग्राम पंचायत को दिया जाना अवैधानिक है. हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

चुने हुए प्रतिनिधियों को पेड़ काटने का अधिकार देना गलत

जबलपुर के याचिकाकर्ता डॉ.पीजी नाजपांडे ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता नियम 2020 में संशोधन किया गया है. संशोधित नियम में निजी भूमि में लगे पेड़ों के काटने की अनुमति देने का अधिकार तहसीलदार से वापस लेकर ग्राम पंचायत को दिये गये हैं, जो अवैध है. कार्यपालक दंडाधिकारी के अधिकार जनता के चुने हुए पदाधिकारियों को दिया जाना भू-राजस्व संहिता तथा संविधान की मंशा के विपरीत है. जनता के चुने हुए व्यक्ति से निष्पक्ष व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती है.

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चार पंचायतों ने एक सप्ताह में 1700 पेड़ काटने की अनुमति दी

याचिका में कहा गया कि चुने हुए सरपंच का प्रत्यक्ष रूप से ग्राम के प्रत्येक व्यक्ति से हित जुड़ा रहता है. याचिका में सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए बताया गया कि चार ग्राम पंचायतों ने एक सप्ताह में 1700 वृक्ष काटने की अनुमति प्रदान की है. ये पर्यावरण के लिए उचित नहीं है. याचिका में राजस्व विभाग को अनावेदक बनाया गया है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की.

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