सरायकेला:आदित्यपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर में शुक्रवार को 'विकसित भारत-विकसित झारखंड 2047' की थीम पर तीन दिवसीय उद्योग-अकादमिक कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कॉन्क्लेव का उद्घाटन कर लोगों को संबोधित किया.
झारखंड में असीम संभावनाएंः राज्यपाल
राज्यपाल संतोष गंगवार ने सर्वप्रथम राज्य को लोगों को झारखंड स्थापना दिवस की बधाई दी. उन्होंने कहा कि झारखंड में असीम संभावनाएं हैं. भगवान बिरसा मुंडा की धरती को नमन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि झारखंड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो ऐसा प्रयास होना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि झारखंड में अगली बनने वाली सरकार भी इस दिशा में बेहतर प्रयास करें यही उनकी अपेक्षा है.
राज्यपाल ने स्टॉलों का किया भ्रमण
राज्यपाल संतोष गंगवार ने कॉन्क्लेव में लगे स्टॉलों को भ्रमण कर जानकारी प्राप्त की. 15 से 17 नवंबर तक आयोजित होने वाले तीन दिवसीय कॉन्क्लेव में एनआईटी जमशेदपुर, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद, आईआईटी पटना, एनआईटी मिजोरम, आईआईटी भिलाई, एनआईटी रायपुर, एनआईटी अगरतला, एनआईटी मणिपुर और एनआईटी नागालैंड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का भी सहयोग रहा.
कॉनक्लेव में इनकी रही भागीदारी
कॉन्क्लेव में उद्योग भागीदारों में टाटा स्टील, एनटीपीसी, ग्रीको, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन, मिधानी, गेल, बीसीसीएल, ओएनजीसी, डीवीसी, कोल इंडिया, ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड, आधुनिक, जन्युटेक, लक्ष्म एसोसिएट्स, सीसीएल और रेल विकास निगम लिमिटेड शामिल हैं. कॉन्क्लेव को एसबीआई, केनरा बैंक, एचडीएफसी, एल्सेवियर, स्रिगर-नेचर, कैम्ब्रिज प्रेस, टेलर और फ्रांसिस सहित प्रकाशन गृहों और बैंकों द्वारा प्रायोजित किया गया है.
एनआईटी के निदेशक ने रखी बात
आयोजन के संबंध में एनआईटी के निदेशक डॉ गौतम सूत्रधार ने कहा कि "विकसित भारत-विकसित झारखंड 2047" थीम के अनुरूप, अधिक विकसित और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा. यह विषय 2047 में राष्ट्र शताब्दी वर्ष तक प्रगतिशील भारत और झारखंड के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेगा.
कॉन्क्लेव का उद्देश्य उद्योग जगत के हस्तियों, नेताओं, अकादमिक विशेषज्ञ, नीति निर्माताओं और छात्रों को एक स्थान पर लाना, नवाचार को बढ़ावा देना, गंभीर औद्योगिक चुनौतियों पर चर्चा करना और ऐसे समाधान विकसित करना है जो अकादमिक अनुसंधान को वास्तविक दुनिया की औद्योगिक जरूरतों के साथ रेखांकित करें.