राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

एक स्कूल ऐसा... 25 सालों से केलूपोश घर में बच्चे कर रहें हैं पढ़ाई, पक्के भवन का इंतजार - Raw and roofless government school - RAW AND ROOFLESS GOVERNMENT SCHOOL

राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला आज भी शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है. बिछीवाड़ा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत पाल पादर में एक स्कूल ऐसा है, जिसमें स्कूल का कोई भवन ही नहीं है. 25 सालों से यह कच्ची स्कूल की छत मिट्टी के बने केलू की है. इस खास रिपोर्ट में जानिए आजादी के 77 साल बाद भी ऐसा है जिले में शिक्षा व्यवस्था का हाल.

RAW AND ROOFLESS GOVERNMENT SCHOOL
केलूपोश घर में संचालित है सरकारी स्कूल (फोटो : ईटीवी भारत डूंगरपुर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 4, 2024, 1:02 PM IST

केलूपोश घर में संचालित है सरकारी स्कूल (वीडियो : ईटीवी भारत डूंगरपुर)

डूंगरपुर. शिक्षा को लेकर सरकार कई दावे कर रही है. देश हाईटेक एजुकेशन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन राजस्थान के आदिवासी अंचल डूंगरपुर में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो 25 सालों से एक केलूपोश कच्चे घर में चल रहा है. एक कमरे के घर के आगे टाट बांधकर दूसरा कमरा बनाकर स्कूल चलाई जा रही है. मिट्टी के बने केलू भी 2 महीने से हटा दिए गए हैं. ऐसे में भीषण गर्मी से बचने के लिए बच्चे फटी पुरानी टाट लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर है. बता दें कि डेढ़ साल पहले विधायक ने स्कूल के लिए 25 लाख का बजट दिया था, लेकिन निर्माण की धीमी गति से ये काम अब तक अधूरा है. हालाकि स्कूल भवन बनाने वाली पंचायत अब 15 दिनों में काम पूरा करने का दावा कर रही है.

राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला आज भी शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है. हालत यह है कि गांवों के कई स्कूलों में सुविधाएं नहीं है. स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए कमरों की कमी है, लेकिन बिछीवाड़ा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत पाल पादर में एक स्कूल ऐसा है, जिसमें स्कूल का कोई भवन ही नहीं है. 25 सालों से यह कच्ची स्कूल की छत मिट्टी के बने केलू की है. 2 महीने से हालत यह है कि अब घर की केलू की छत भी बच्चों को मयस्सर नहीं हो रही. स्कूल टीचर से लेकर बच्चे सभी खुले आसमान के नीचे बैठकर ही पढ़ाई कर रहे हैं. सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम में स्कूल के बच्चों और टीचर के लिए यह समय गुजारना टेढ़ी खीर हो जाता है.

पहाड़ी पर है यह सरकारी स्कूल (फोटो : ईटीवी भारत डूंगरपुर)

इसे भी पढ़ें-बाड़मेर में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल, 40 डिग्री तापमान में टिन के शेड के नीचे बच्चे पढ़ने को मजबूर - Govt School Without a Building

स्कूल के हेड मास्टर नाथूलाल बताते हैं कि 1999 में राजीव गांधी स्कूल खुला था. तब से यह गांव के गंगाराम खराड़ी के केलूपोश घर में चल रहा है. स्कूल के नाम पर घर का एक 8 गुना 15 फीट का कमरा है. आगे का भाग खुला है, लेकिन टाट बांधकर दूसरा कमरा बनाया गया है. अंदर के कमरे में बच्चों के लिए रसोई बनती है. वहीं आगे के भाग में कक्षा 1 से 5 तक के 33 बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है. घर के ठीक आगे एक नीम का पेड़ है. उसके नीचे बैठकर भी कई बार पढ़ाई होती है. स्कूल टीचर ने बताया कि खासकर बारिश के दिनों में परेशानी होती है. मिट्टी के केलू की छत होने से पानी टपकता था. ऐसे में कई बार छुट्टी करनी पड़ती थी.

25 सालों से केलूपोश के घर में संचालित है स्कूल (फोटो : ईटीवी भारत डूंगरपुर)

MLA ने 25 लाख मंजूर किए, लेकिन भवन नहीं बना : स्कूल की हालत देखकर डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने वर्ष 2022 में भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए का बजट घोषित किया था. स्कूल भवन बनाने के लिए ग्राम पंचायत पाल पादर कार्यकारी एजेंसी ने एक पहाड़ी पर भवन बनाने का काम शुरू कर दिया, लेकिन स्कूल के काम में धीमी रफ्तार की वजह से आज तक कार्य पूरा नहीं हुआ है. स्कूल में 4 कमरे बनाए जा रहे हैं. भवन खड़ा होकर छत डाल दी गई है, लेकिन फर्श और प्लास्टर का काम बाकी है. बिछीवाड़ा उपप्रधान लालशंकर पंडवाला बताते हैं कि स्कूल का भवन अगले 15 दिनों में पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें-चूहों से फैल रहा यह खतरनाक रोग, Brucellosis के 61 मामले सामने आए - Disease from Rats

3 बार स्कूल के लिए जमीन देखी, हर बार विवाद : उपप्रधान लालशंकर पंडवाला बताते हैं कि गांव में पक्की स्कूल बनाने के लिए कई बार जमीन देखी गई, लेकिन हर बार गांव का कोई न कोई व्यक्ति अपनी जमीन बताकर विवाद करने लगता. एक बार स्कूल बनाने के लिए नींव भी भर दी गई, लेकिन वहां पर भी लोग विरोध में खड़े हो गए. लोगों के विरोध की वजह से स्कूल नहीं बन सकी. अब जमीन मिल गई तो भवन का काम भी शुरू हो गया है.

25 लाख की राशि से भवन निर्माण, लेकिन अभी भी अधूरा (फोटो : ईटीवी भारत डूंगरपुर)

पथरीला और कंटीली झाड़ियों वाला रास्ता :केलूपोश घर में 25 सालों से स्कूल चल रहा है. पहाड़ियों के बीच 2 घरों के पास में ही यह स्कूल है. यहां तक आने-जाने के लिए करीब 300 मीटर का कच्चा, पथरीला और कंटीली झाड़ियों वाला रास्ता है. इसी रास्ते से होकर टीचर व स्कूल के नन्हे बच्चें पढ़ने के लिए जाते हैं. रास्ते के दोनों तरफ कांटेदार झाड़ियां उगी हुई है. बारिश के दिनों में आने-जाने में बहुत परेशानी होती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details