खूंटीः झारखंड में स्कूली शिक्षा और शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक व्यवस्थायें की जा रही है. लेकिन खूंटी जिला का एक ऐसा राजकीयकृत मध्य विद्यालय जहां आज भी बच्चे जर्जर भवन के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.
यहां की स्थिति ऐसी विकट है कि भवन की छत टूटकर नीचे फर्श पर गिर रही है. इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चे इसी छत के नीचे डर के बीच बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ने वाले 143 आदिवासी बच्चे डरे सहमे रहते हैं. स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक भी डर के साये में बच्चो को पढ़ाते हैं. शिक्षकों को भी डर है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए लेकिन कोई सुनने वाला नहीं.
राजधानी से सटे खूंटी के फूदी पंचायत सचिवालय से महज चंद कदमों की दूरी पर राजकीयकृत मध्य विद्यालय है और यह 1954 से संचालित हो रहा है. 70 साल पहले बने खपरैल स्कूल भवन में छोटे छोटे बच्चे पढ़ते हैं जबकि उसके बगल में बने स्कूल बिल्डिंग भी जर्जर अवस्था में है और उसी जर्जर बिल्डिंग में बच्चे जान हथेली में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. बारिश के मौसम में छत का प्लास्टर गिरने और पानी के टपकने से बचने के लिए विद्यार्थी अपने अपने कॉपी, किताब, बैग समेत उठा लेते हैं. एक ही क्लास में दो तीन क्लास के बच्चों को एकसाथ रखने की मजबूरी शिक्षकों की होती है. स्कूली बच्चों के साथ साथ शिक्षक भी डरे सहमे नजर आते हैं. एक शिक्षक ने बताया कि विद्यालय परिसर की बाउंड्री भी नहीं है, साथ ही विद्यालय में कई वर्षों से डेस्क बेंच की खरीददारी भी नहीं की गई है. विद्यालय के कमरे में बारिश में जलजमाव होना रूटीन सा बन गया है.