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लातेहार में सड़क दुर्घटना में स्कूल के प्रिंसिपल की मौत, शिक्षकों ने उठाए बायोमेट्रिक सिस्टम पर सवाल - TEACHER DEATH IN LATEHAR

लातेहार सड़क हादसे में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक की मौत हो गई. शिक्षकों ने परिजनों को नौकरी और मुआवजा देने की मांग की है.

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घटनास्थल पर मौजूद शिक्षक समेत अन्य लोग (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 6 hours ago

लातेहार:जिला मुख्यालय के झरिया पेट्रोल पंप के पास बुधवार को ट्रक की चपेट में आने से बाइक सवार शिक्षक की मौत हो गई. शिक्षक की पहचान पलामू मेदिनीनगर निवासी संजय सिंह के रूप में हुई है, जो लातेहार के कुंदरी मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में पदस्थापित थे. घटना के बाद शिक्षकों में भारी नाराजगी है. शिक्षकों ने सरकार के बायोमेट्रिक सिस्टम की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए आंदोलन की धमकी दी है.

दरअसल, शिक्षक संजय सिंह अपने घर से स्कूल जाने के लिए निकले थे. रास्ते में झरिया पेट्रोल पंप पर बाइक में पेट्रोल लेने के बाद जैसे ही वहां से वह सड़क पर आए, तभी सामने से आ रही एक तेज रफ्तार ट्रक ने उन्हें चपेट में ले लिया. ट्रक उन्हें कुचलते हुए निकल गया. इस घटना में शिक्षक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई.

जानकारी देते शिक्षक (ETV BHARAT)

सूचना के बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस

घटना की जानकारी मिलने के बाद डीएसपी अरविंद कुमार के निर्देश पर लातेहार की पुलिस तत्काल घटनास्थल पर पहुंची. स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के लिए लातेहार सदर अस्पताल भेज दिया. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना के बाद ट्रक को पकड़ने के लिए कार्रवाई की जा रही है.

घटना के बाद शिक्षकों में भारी आक्रोश

इधर, घटना के बाद शिक्षकों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. शिक्षक संघ के अध्यक्ष हीरा यादव और अजय कुमार ने कहा कि सरकार की बायोमेट्रिक सिस्टम के कारण ही ऐसी घटना हो रही है. शिक्षकों ने कहा कि झारखंड में सिर्फ शिक्षकों के लिए ही सुबह 9:00 बजे स्कूल पहुंचकर बायोमेट्रिक से अटेंडेंस बनाने का नियम बनाया गया है. दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में समय पर पहुंचने के लिए शिक्षकों को जल्दीबाजी होती है. जिस कारण ऐसी दुर्घटना लगातार हो रही है. शिक्षकों ने मांग की है कि सरकार मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा करे. साथ ही शिक्षक के आश्रितों को तुरंत सरकारी नौकरी दी जाए. अगर मुआवजा देने में देरी हुई तो शिक्षक आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

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