भरतपुर:राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की नई शुरुआत ही छात्रों के लिए मुसीबत बन गई है. निर्माणाधीन इमारत के चलते कॉलेज को एक किराए के भवन में चलाया जा रहा है, जहां बुनियादी सुविधाओं के नाम पर सिर्फ चार दीवारें हैं. यह भवन ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां पहुंचना और वापस आना, दोनों किसी चुनौती से कम नहीं. इतना ही नहीं, महाविद्यालय में ना तो लैब है, ना दो साल से कैडेवर है और ना ही छात्राओं के लिए शौचालय. वहीं, जिम्मेदारों का कहना है कि जल्द ही सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी जाएंगी.
एक कमरे में 4 कक्षाएं: कॉलेज के छात्रों का कहना है कि यहां पढ़ाई करना एक संघर्ष बन गया है. छात्र रवि कुमार ने बताया कि एक ही हॉल में चार क्लासेस चल रही है. प्रयोगशाला का नामोनिशान नहीं है और जरूरी उपकरण गायब है. सबसे महत्वपूर्ण कैडेवर (मृत मानव शरीर), जो किसी चिकित्सक और छात्र की पहली जरूरत होती है. पिछले दो वर्षों से उपलब्ध नहीं है.
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छात्राओं के लिए शौचालय तक नहीं :छात्राओं के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. शौचालय की अनुपलब्धता ने छात्राओं को भारी परेशानी में डाल दिया है. न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं और न ही खेलकूद की गतिविधियां. छात्रों का कहना है कि उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.
उपाधीक्षक का आश्वासन:कॉलेज के उपाधीक्षक डॉ. सीपी दीक्षित ने बताया कि किराए के भवन में तीन दिन पहले ही कॉलेज शिफ्ट हुआ है. जल्द ही व्यवस्थाएं पूरी कर दी जाएंगी, लेकिन छात्रों का कहना है कि वे पिछले दो वर्षों से ऐसी ही समस्याओं का सामना कर रहे हैं.
छात्र कर रहे प्रदर्शन: कॉलेज के छात्रों का आक्रोश चरम पर है. वे पिछले दो दिनों से अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि यह कोई नई समस्या नहीं है. पिछले दो सालों से हमें बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हर बार सिर्फ आश्वासन दिया जाता है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. वहीं, छात्रों के प्रदर्शन के बाद एसडीएम ने आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के किराए पर चल रहे भवन का निरीक्षण किया और जिम्मेदारों को जरूरी सुविधाओं के लिए निर्देश दिए.