गोरखपुर :आजादी की लड़ाई में देश के तमाम युवा क्रांतिकारियों, रियासतों के राजाओं समेत अनगिनत योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ संघर्ष में पूर्वांचल के रणबांकुरों का योगदान कम नहीं रहा. पूर्वांचल की धरती के कई लाल आजादी की लड़ाई में शहीद और उनकी अमर गाथा आज भी होती है. पूर्वांचल के ऐसे वीर सपूतों की फेहरिस्त लंबी है. गोरिल्ला युद्ध से अंग्रेजों की नाक में दम कर देने वाले शहीद बंधू सिंह हों या बाबू अक्षयबर सिंह, राजा हरि प्रसाद मल्ल या सचीन्द्रनाथ सान्याल समेत अगणित क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व लुटा दिया, लेकिन अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की.
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की जेल में फांसी और उनके संदेश ने भी पूर्वांचल में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय नरहरपुर स्टेट के राजा हरि प्रसाद मल्ल अंग्रेजी हुकूमत की दासता स्वीकार नहीं किए तो उनका सिर अंग्रेजों ने काट लिया. बनारस षड्यंत्र और काकोरी ट्रेन लूट की योजना बनाने वाले सरदार भगत सिंह के गुरु सचींद्रनाथ सान्याल ने भी इस शहर से क्रान्तिकारी गतिविधियों को आगे बढ़ाया था.
हनुमान प्रसाद पोद्दार जैसे लोगों ने जनचेतना के जरिए लोगों में आजादी की लड़ाई के प्रति लोगों को जागृत किया. देश की आजादी में पूर्वांचल के क्रांतिकारियों की भूमिका नामक पुस्तक की रचना करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार पांडेय की पुस्तक में यह सभी साक्ष्य मिलते हैं तो इन शहीदों के परिजन भी इसका उल्लेख करते हैं.
राजा हरिप्रसाद मल्ल:देश की आजादी में गोरखपुर के नरहरपुर स्टेट के राजा हरिप्रसाद मल्ल का भी बड़ा योगदान रहा. बलिया से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक में स्वतंत्रता आंदोलन की हुंकार चरम पर थी. बिठूर में नानाजी पेशवा अपनी रणनीति से आगे बढ़ रहे थे. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई दुर्गा रूप ले चुकी थीं. गोरखपुर के दक्षिणांचल में चिल्लूपार रियासत के राजा हरि प्रसाद मल्ल, मंगल पांडेय समेत कई योद्धा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मुखर थे. वर्ष 1857 में आजादी के मतवालों ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी और दोहरीघाट नीली कोठी से आगे बढ़ रही अंग्रेजी सेना के रसद और हथियार छीन लिए.
इससे बौखलाई अंग्रेजी फौज नरहरपुर स्टेट और उसकी छावनी पर तोपों से गोला बारूद का वर्षा कर तबाही मचा दी. राजा इससे तनिक भी विचलित नहीं हुए और उनके सैनिकों ने अंग्रेजों की नील कोठी तबाह कर दी और कई अंग्रेज सैनिक मार गिराए. इस संग्राम में राजा हरि प्रसाद मल्ल भी शहीद हो गए. इसके बाद मंगल पांडेय ने आजादी की चिंगारी बुझने नहीं दी और सरयू नदी के किनारे बड़हलगंज के मौजूदा समय के मुक्तिपथ और तत्कालीन समय के चिल्लूपार में स्थित सैनिक छावनी को उन्होंने तबाह करा दिया. मौजूदा वक्त चिल्लू पार विधानसभा क्षेत्र में राजा हर प्रसाद माल होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज की स्थापना प्रदेश की योगी सरकार में हुई है.
क्रांतिकारी बंधू सिंह:ऐसे ही वीर सेनानियों में क्रांतिकारी बंधू सिंह का नाम भी लिया जाता है. बंधू सिंह देवी मां के अनन्य भक्त थे. वह चौरी चौरा की धरती में स्थित वन क्षेत्र में देवी मां का पिंडी रूप बनाकर पूजा अर्चना करते थे. इस दौरान जंगल से गुजरने वाले अंग्रेज सैनिक, दारोगाओं की वह बलि चढ़ा दिया करते थे. उनकी ताकत ऐसी थी कि उनके नेतृत्व में जिलाधिकारी के कार्यालय को कब्जा कर लिया गया था तो सरकारी खजाने को भी लूट लेने का कार्य बंधू सिंह के नेतृत्व में हुआ था, लेकिन एक देशद्रोही के अंग्रेजों से मिल जाने की वजह से वह पकड़े गए और उन्हें फांसी दे दी गई.
इस दौरान भी उनकी देवी मां की भक्ति का जो रूप दिखा उससे अंग्रेज हिल गए. सात बार फांसी का फंदा टूटा, आठवीं बार बंधू सिंह की पुकार पर उन्हें फांसी लगाने में अंग्रेज सफल हो पाए. बंधू सिंह की शहादत से पूर्वांचल में अंग्रेजों का खिलाफ बड़ा माहौल बन गया. फिलहाल केंद्र सरकार ने बंधू सिंह के ऊपर डाक टिकट जारी किया है. वहीं सीएम योगी सरकार ने कई योजनाओं, परियोजनाओं का नाम बंधू सिंह के नाम पर गोरखपुर क्षेत्र में संचालित की हैं.
सचींद्रनाथ सान्याल ने दाउदपुर आवास पर काकोरी ट्रेन लूट की बनाई थी योजना:काकोरी ट्रेन लूट और बनारस षड्यंत्र की सफल योजना बनाने का का काम सचिंद्रनाथ सान्याल ने गोरखपुर से किया था. वह सरदार भगत सिंह के गुरु थे. वह यहीं के सेंट एंड्रयूज काॅलेज में शिक्षक थे. काकोरी कांड की प्लानिंग के साथ लूट के बाद क्रांतिकारी यहीं आकर रुके थे. जिनमें चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे कई क्रांतिकारी शामिल थे.