गोड्डा: शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन के अचानक से पार्टी से और अपने विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण झारखंड की राजनीति में खलबली मच गई है. सीता सोरेन भाजपा में चली गई हैं. साथ ही यह भी चर्चा है कि या तो वे खुद या फिर अपनी बेटी को दुमका लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना सकती हैं.
पार्टी में खुद की उपेक्षा का सीता लगाती रही हैं आरोप
बताते चलें कि इतना बड़ा उलटफेर कोई अचानक से नहीं हुआ है. इसके पीछे काफी पुरानी कहानी रही है. भले ही सीता सोरेन झामुमो से जुड़ी थीं, लेकिन कई बार सीता सोरेन पार्टी के उलट बयान दे चुकी हैं. जिसमें वह लगातार पार्टी में उपेक्षा का आरोप लगाती रही हैं. हाल के दिन में जब कल्पना सोरेन को हेमंत सोरेन के जेल जाने बाद राज्य की बागडोर देने की बात आई है तो सीता सोरेन ने खुलकर इसका विरोध किया. वहीं इसके बाद चंपाई सोरेन सरकार में बसंत सोरेन को मंत्री बना दिया गया फिर जब दुमका लोकसभा चुनाव लड़ने की बात आई तो चर्चा ये हो रही कि जेल से हेमंत सोरेन ही चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में सीता सोरेन को लग रहा था कि लगातार पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है.
सीता सोरेन से सांसद निशिकांत की रही है राजनीतिक सहानुभूति
इन सबके बीच जब से सीता सोरेन के नाराजगी वाले बयान आने लगे गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने सीता सोरेन के मामले में सहानुभूति दिखाई. निशिकांत दुबे ने पहले भी बयान दिया है कि सोरेन परिवार के साथ उनके पारिवारिक संबंध रहे हैं. खास तौर पर दुर्गा सोरेन को अपना भाई बताते हुए कह चुके हैं कि दिल्ली में दुर्गा के इलाज के दौरान उनकी मदद की थी. 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन को दरकिनार कर दुर्गा सोरेन ने गोड्डा से चुनाव लड़कर कांग्रेस को हराने में बड़ी भूमिका निभाई थी और निशिकांत दुबे की जीत की राह आसान कर दी थी. निशिकांत दुबे की सीता सोरेन के साथ राजनीतिक सहानुभूति पहले भी जगजाहिर रही है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं सीता सोरेन की भाजपा में एंट्री की राह निशिकांत दुबे ने बनाई है.
भाजपा ने सीता सोरेन का पार्टी में किया स्वागत